Month: मार्च 2020

मीरास अर्जित नहीं की जा सकती है

डैडी, भोजन के लिए धन्यवाद,” मैंने अपना ग्लास रेस्टोरेंट की मेज पर रखते हुए कहा l थोड़ी अवधि के लिए अलग होने के बाद, मैं कॉलेज से छुट्टी पर घर आयी थी और मुझे अजीब महसूस हुआ जब मेरे माता-पिता ने मेरे लिए भुगतान किया l मेरे पिता ने कहा, “जूली तुम्हारा स्वागत है परन्तु तुम्हें मुझको हर चीज़ के लिए हर समय धन्यवाद देने की ज़रूरत नहीं है l मैं जानता हूँ तुम अपने आप से दूर हुयी हो, परन्तु तुम अभी भी मेरी बेटी और परिवार का हिस्सा हो l” मैं मुस्कुरायी l “डैडी, धन्यवाद l”

मेरे परिवार में, मैंने अपने माता-पिता के प्यार को अर्जित करने के लिए कुछ भी नहीं किया है या उसके लिए जो वे मेरे लिए करते हैं l लेकिन मेरे पिताजी की टिप्पणी मुझे याद दिलाती है कि मैंने परमेश्वर के परिवार का हिस्सा बनने के लिए कुछ भी नहीं किया है l  

इफिसियों की पुस्तक में, पौलुस ने अपने पाठकों को बताया कि परमेश्वर ने उन्हें चुन लिया कि वे “उसके निकट प्रेम में पवित्र और निर्दोष हों” (1:4), या “उसे . . . अपने पास खड़ी करे, जिसमें न कलंक, न झुर्री [हो]” (5:25_27) l लेकिन यह केवल यीशु के द्वारा ही संभव है, जिसमें “उसके लहू के द्वारा छुटकारा, अर्थात् अपराधों की क्षमा, उसके उस अनुग्रह के धन के अनुसार मिला है” (1:7) l हमें परमेश्वर का अनुग्रह, क्षमा या उसके परिवार में प्रवेश’ को कमाने की ज़रूरत नहीं है l हम केवल उसका मुफ्त उपहार स्वीकार करते हैं l 

जब हम अपने जीवनों को यीशु को सौंप देते हैं, हम परमेश्वर की संतान बन जाते हैं, जिसका अर्थ है कि हम अनंत जीवन प्राप्त करते हैं और हम स्वर्ग में अपने लिए एक मीरास  का इंतज़ार कर रहे हैं l ऐसे अद्भुत उपहार देने के लिए परमेश्वर की प्रशंसा हो!

धन्य रोटी

जब हमारी सबसे बड़ी बेटी किशोरी हो गयी, मेरी पत्नी और मैंने उसे एक दैनिकी दी जो हम उसके जन्म से अभी तक लिख रहे थे l हमने उसके पसंद और नापसंद, विशिष्टताएँ और यादगार एक पंक्ति चुटकुले लिखे थे l कहीं-कहीं पर प्रविष्ठियां पत्र की तरह हो गए थे, जिसमें यह वर्णन था कि हम उसमें क्या देखते हैं और किस प्रकार हम परमेश्वर को उसमें काम करते देखते हैं l जब हमने उस दैनिकी को उसे तेरह साल की उम्र में दिया, वह मंत्रमुग्ध हो गयी l उसे अपनी पहचान के मूल भाग का एक महत्वपूर्ण हिस्सा जानने का उपहार दिया गया था l 

रोटी के रूप में कुछ सामान्य वस्तु को आशीष देने में, यीशु उसकी पहचान प्रकट कर रहा था l यह – समस्त सृष्टि के साथ – किस बात को प्रतिबिंबित करने के लिए बनाया गया था : परमेश्वर की महिमा l मैं मानना हूँ कि यीशु भौतिक संसार के भविष्य की ओर भी इशारा कर रहा था l सारी सृष्टि एक दिन परमेश्वर की महिमा से भर जाएगी l इसलिए रोटी पर आशीष देने में (मत्ती 26:26), यीशु सृष्टि के आरम्भ और नियति की ओर संकेत कर रहा था (रोमियों 8:21-22) l 

हो सकता है कि आपकी कहानी का “आरम्भ” गड़बड़ हो l शायद आपको नहीं लगता कि भविष्य में बहुत कुछ है l लेकिन एक बड़ी कहानी है l यह एक ऐसे परमेश्वर की कहानी है जिसने आपको उद्देश्य पर और एक उद्देश्य के लिए बनाया, जिसने आप में आनंद लिया l यह एक ऐसे परमेश्वर की कहानी है जो आपको बचाने के लिए आया (मत्ती 26:28); एक परमेश्वर जिसने आपको नूतन बनाने के लिए और आपकी पहचान लौटने के लिए अपनी आत्मा आपमें डाल दी l यह एक ऐसे परमेश्वर की कहानी है जो आपको आशीष देना चाहता है l

फल का रस

लैंप एक उत्कृष्ट सौदा था, और यह मेरे घर के कार्यालय के लिए एकदम सही लग रहा था – सही रंग, आकार और कीमत l हालाँकि, घर पहुँचकर, जब मैंने प्लग लगाया, कुछ भी नहीं हुआ l कोई रोशनी नहीं l कोई पावर नहीं l कुछ भी तो नहीं!

कोई बात नहीं, मेरे पति ने मुझे आश्वस्त किया l “मैं उसे ठीक कर सकता हूँ l आसान है l” जब उसने लैंप को खोला, उन्हें तुरंत परेशानी दिखाई दी l प्लग किसी से भी जुड़ा नहीं था l बिजली के श्रोत के लिए तारों के बिना, “सही” सुन्दर लैंप बेकार था l 

हमारे लिए भी यही सच है l यीशु ने अपने शिष्यों को बताया l “मैं दाखलता हूँ : तुम डालियाँ हो l जो मुझ में बना रहता है और मैं उसमें, वह बहुत फल फलता है l” लेकिन उसने यह ताकीद जोड़ दी l “मुझ से अलग होकर तुम कुछ भी नहीं कर सकते” (यूहन्ना 15:5) l 

यह शिक्षा एक दाख उगाने वाले क्षेत्र में दिया गया था, इसलिए उसके शिष्यों ने इसे आसानी से समझा l दाखलता मजबूत पौधे हैं, और उनकी डालियाँ छंटाई को सहन करती हैं l अपने जीवन श्रोत से कटने पर, हालाँकि, डालियाँ व्यर्थ मृत लकड़ी हो जाती हैं l ऐसा ही हमारे साथ भी है l 

जब हम यीशु में बने रहते हैं और उसके शब्दों को हमारे अन्दर रहने देते हैं, तो हम अपने जीवन के श्रोत – स्वयं मसीह – से जुड़ जाते हैं l “यीशु ने कहा, “मेरे पिता की महिमा इसी से होती है कि तुम बहुत सा फल लाओ, तब ही तुम मेरे चेले ठहरोगे” (पद.8) l हालाँकि, इस तरह के फलदायक परिणाम को दैनिक पोषण की ज़रूरत होती है l स्वतंत्र रूप से, परमेश्वर इसे पवित्रशास्त्र और अपने प्रेम के द्वारा प्रदान करता है l तो प्लग करें और रस को बहने दें!

असफल लकड़हारा

एक साल जब मैं कॉलेज में था, मैं जलाऊ लकड़ी काटता, बेचता, और पहुंचाता था l यह एक कठिन काम था, इसलिए मेरे पास 2 राजा 6 की कहानी में अभागे लकड़हारे के लिए सहानुभूति है l  

एलिशा का नबियों का समूह समृद्ध हुआ था, और उनके मिलने की जगह बहुत छोटी हो गयी थी l किसी ने सुझाव दिया कि वे जंगल में जाएँ, लकड़ी का कुंदा काटें, और अपनी सुविधाओं को बढ़ाएं l एलिशा सहमत हुआ और कार्यकर्ताओं के साथ गया l काम ठीक चल रहा था जब तक कि किसी की कुल्हाड़ी पानी में न गिर गयी (पद.5) l 

कुछ लोगों ने सुझाव दिया है कि एलिशा केवल अपनी छड़ी से पानी में टटोलता रहा जब तक कि उसने पता न लगा लिया और फिर उसे खींच कर निकाल लिया l हालाँकि, यह शायद ही ध्यान देने योग्य होगा l नहीं, वह एक आश्चर्यकर्म था : परमेश्वर के हाथों ने उस कुल्हाड़ी को गति प्रदान की और वह तैरने लगा ताकि वह व्यक्ति उसे प्राप्त कर सके (पद.6-7) l 

इस साधारण आश्चर्यकर्म में एक गहरा सच है : परमेश्वर जीवन की छोटी चीजों की परवाह  करता है – खोई हुए कुल्हाड़ियाँ, खोयी हुयी चाबी, खोए हुए चश्मे, खोए हुए फोन – छोटी चीजें जो हमारे लिए खीज का कारण बनती हैं l जो खो जाता है, उन सभी को वह बहाल नहीं करता है, परन्तु वह समझता है और हमारे संकट में हमें आराम देता है l 

हमारे उद्धार के आश्वासन के आगे, परमेश्वर की देखभाल की निश्चयता ज़रूरी है l इसके बिना हम असंख्य चिंताओं के संपर्क में संसार में अकेला महसूस करेंगे, l यह जानना अच्छा है कि वह परवाह करता है और हमारी हानि से दुखित होता है – चाहे वे कितनी ही छोटी हों l हमारी चिंताएं उसकी चिंताएं हैं l