आराम से कर सकते हैं
मेरे पिता और मैं पेड़ों को काटते थे और दो मुठ वाले आरा से उन्हें नाप में काटते थे l युवा और ऊर्जावान होने के नाते, मैंने आरी को काटने के लिए मजबूर करने की कोशिश की l “आराम से कर सकते हो,” मेरे पिता कहते थे l “आरी को काम करने दो l”
मैं फिलिपिन्स में पॉल के शब्दों के विषय सोचता हूँ : “यह परमेश्वर ही है जो आप में काम करता है” (2:13) l आराम से कर सकते हैं l उसे हमें बदलने का काम करने दें l
सी.एस. ल्युईस ने कहा कि मसीह ने जो कहा था उसे पढ़ने और करने की तुलना में विकास कहीं अधिक है l उन्होंने समझाया, “एक वास्तविक व्यक्ति, मसीह, . . . आपके लिए कार्य कर रहा है . . . धीरे-धीरे आपको स्थायी रूप से . . . एक नए छोटे मसीह में बदल रहा है, एक प्राणी जो . . . उसकी सामर्थ्य, आनंद, ज्ञान और अनंतता में भागीदारी करता है l
परमेश्वर आज उस प्रक्रिया को पूरा कर रहा है l यीशु के चरणों में बैठें और जो कुछ वह कहना चाहता है उसे ग्रहण कर लें l प्रार्थना करें l “अपने आप को परमेश्वर के प्रेम में बनाए रखें” (यहूदा 1:21), खुद को दिन भर याद दिलाते रहें कि आप उसके हैं l इस आश्वासन में विश्राम करें कि वह धीरे-धीरे आपको बदल रहा है l
“लेकिन क्या हमें धार्मिकता की भूख और प्यास नहीं लगनी चाहिये? आप पूछेंगे l मन में कल्पना करें कि एक छोटा बच्चा एक ऊंचे ताखे पर से एक उपहार उठाने का प्रयास कर रहा है, प्राप्त करने की इच्छा के साथ उसकी आँखें चमक रही हैं l उसके पिता उसकी इच्छा को भांपते हुए, उपहार को उतार कर उसे दे देता है l
कार्य परमेश्वर का है; आनंद हमारा है l आराम से कर सकते हैं l हम किसी दिन वहां पहुँचेंगे l
कुछ भी करें
हाल ही के एक अंग्रेजी फिल्म में , एक स्व-घोषित “genius(अपूर्व बुद्धि का मनुष्य)” “दहशत, भ्रष्टाचार, अज्ञानता, और गरीबी” के बारे में कैमरा के सामने बड़बड़ाता है और जीवन को ईश्वरहीन और बेतुका घोषित करता है l हालाँकि ऐसे सोच कई आधुनिक फिल्म कथानक में असामान्य नहीं है, लेकिन रुचिकर यह है कि यह कहाँ ले जाता है l अंत में, मुख्य चरित्र दर्शकों की ओर मुड़ता है और हमें थोड़ी ख़ुशी पाने के लिए जो कुछ भी करना होता है उसे करने के लिए प्रेरित करता है l उसके लिए, इसमें पारंपरिक नैतिकता को पीछे छोड़ना शामिल है l
लेकिन “कुछ भी करें” क्या कामयाब होगा? जीवन की अपनी भयावहता पर अपनी खुद की निराशा का सामना करते हुए, पुराना नियम के सभोपदेशक के लेखक ने बहुत पहले यह कोशिश की थी कि आमोद प्रमोद (सभोपदेशक 2:1,10), भव्य कार्य योजनाएं (पद.4-6), धन (पद.7-9), और दार्शनिक जाँच-पड़ताल (पद.12-16) के माध्यम से ख़ुशी की तलाश की जाए l और उसका आंकलन? “सब कुछ व्यर्थ और वायु को पकड़ना है” पद.17) l इनमें से कोई भी चीज़ मृत्यु, आपदा, या अन्याय के लिए प्रतिरक्षा नहीं है (5:13-17) l
केवल एक ही चीज़ सभोपदेशक के लेखक को निराशा से वापस लाती है l जीवन के परीक्षणों के बावजूद, जब परमेश्वर हमारे रहें और काम करने का हिस्सा हॉट अहै, तो हम तृप्ति पा सकते हैं : “क्योंकि परमेश्वर से दूर रहकर, कौन व्यक्ति खा-पी सकता है?” ((Hindi-C.L.) l जीवन कई बार अर्थहीन लगेगा, लेकिन “अपने सृजनहार को स्मरण [रखें]” (12:1) l जीवन को समझने की कोशिश में खुद को न थ्काएं, लेकिन “परमेश्वर का भय [माने] और उसकी आज्ञाओं का पालन [करें] (पद.13) l
परमेश्वर को केंद्र में रखे बिना, जीवन के सुख और दुःख केवल मोहभंग की ओर ले जाते हैं l
चाँद को रचनेवाला
अन्तरिक्ष यात्रियों द्वारा ईगल(Eagle) अन्तरिक्ष यान को सी ऑफ़ ट्रैनक्वीलिटी(Sea of Tranquility- चन्द्रमा पर एक ख़ास स्थान) पर उतारने के बाद, नील आर्मस्ट्रांग(अन्तरिक्ष यात्री) ने कहा, “यह मानव के लिए एक कदम है, मानवता के लिए एक भीमकाय छलांग l” वह चंद्रमा के सतह पर कदम रखने वाला पहला मनुष्य था l दूसरे अंतरिक्ष यात्री भी गए, जिसमें अंतिम अपोलो अभियान के कमांडर जेने सेरनन शामिल थे l “वहां(चंद्रमा पर) मैं था, और वहां अर्थात् पृथ्वी पर आप हैं, उर्जस्वी(dynamic), अभिभूत करनेवाला, और मैंने अनुभव किया . . . अचानक यह जो हुआ बहुत ही खुबसूरत है,” सेरनन ने कहा, “आप से बड़ा और मुझसे बड़ा ज़रूर कोई है l” गहरे अन्तरिक्ष में अपनी अद्वितीय दृष्टि से भी, इन लोगों ने कायनात/सृष्टि की विशालता की तुलना में अपनी लघुता को समझा l
नबी यिर्मयाह ने भी पृथ्वी और उससे परे के सृष्टिकर्ता और संभालनेवाला के रूप में परमेश्वर की विशालता पर विचार किया l सभी के सृष्टिकर्ता ने घनिष्टता से खुद को प्रकट करने का वादा किया क्योंकि उसने अपने लोगों को प्यार, क्षमा और आशा की पेशकश की (यिर्मयाह 31:33-34) l यिर्मयाह परमेश्वर की विशालता की पुष्टि करता है कि यह वही है “जिसने दिन में प्रकाश देने के लिए सूर्य को और रात में प्रकाश देने के लिए चंद्रमा और तारागन के नियम ठहराए हैं” (पद.35) l हमारा सृष्टिकर्ता और सर्वशक्तिमान प्रभु सब के ऊपर राज्य करेगा जब वह अपने सभी लोगों को छुड़ाने का काम कर रहा है (पद.36-37) l
हम आकाश की अथाह विशालता और पृथ्वी की नींव की गहराई की खोज कभी भी कर पाएंगे l लेकिन हम सृष्टि की जटिलता पर विस्मय से देखेंगे और चन्द्रमा – और बाकी सब कुछ को बनानेवाले पर भरोसा करेंगे l
अच्छी मात्रा में
एक दिन एक पेट्रोल पंप पर, स्टेला का सामना एक महिला से हुआ जो अपने बैंक कार्ड के बिना घर से निकल आई थी l अपने बच्चे के साथ फंसी हुयी, वह राहगीरों से मदद मांग रही थी l हालाँकि उस समय बेरोजगार होने के बावजूद स्टेला ने अजनबी के टैंक में 500 रूपये का पेट्रोल भरवा दिया l कुछ दिनों के बाद, स्टेला घर लौटकर देखी कि बच्चों के खिलौनों से भरा एक बास्केट और दूसरे प्रकार के उपहार उसके ओसारे में रखे हुए थे l अजनबी के मित्रों ने स्टेला के दयालुता का बदला दिया था और उसके 500 रूपये की आशीष को उसके परिवार के लिए स्मरणीय क्रिसमस में बदल दिया था l
दिल को छूनेवाली यह कहानी यीशु के उस बिंदु को दर्शाती है जब उसने कहा था, “दिया करो, तो तुम्हें भी दिया जाएगा l लोग पूरा नाप दबा दबाकर और हिला हिलाकर और उभरता हुआ तुम्हारी गोद में डालेंगे, क्योंकि जिस नाप से तुम नापते हो, उसी से तुम्हारे लिए भी नापा जाएगा” (लूका 6:38) l
यह सुनना लुभाने वाला हो सकता है और हम देने के द्वारा क्या प्राप्त करते हैं पर केन्द्रित होते हैं, लेकिन ऐसा करने से हमसे एक बिंदु छूट सकता है l यीशु ने इस कथन से पहले ऐसा कहा : “अपने शत्रुओं से प्रेम रखो, और भलाई करो, और फिर पाने की आशा न रखकर उधार दो; और तुम्हारे लिए बड़ा फल होगा, और तुम परमप्रधान के संतान ठहरोगे, क्योंकि वह उन पर जो धन्यवाद नहीं करते और बुरों पर भी कृपालु है” (पद.35) l
हम वस्तु पाने के लिए नहीं देते हैं; हम देते हैं क्योंकि परमेश्वर हमारी उदारता में आनंदित होता है l दूसरों के लिए हमारा प्रेम हमारे प्रति उसके प्रेमी हृदय को प्रतिबिंबित करता है l