अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जॉर्ज एच. डब्ल्यू. बुश की पत्नी, बारबरा बुश ने अपनी मृत्यु से पूर्व अपने बेटे से बोली, “मैं यीशु में विश्वास करती हूँ और वह मेरा मुक्तिदाता है, और मुझे मृत्यु का भय नहीं l” यह अविश्वसनीय और दृढ़ कथन मजबूत और जडवत विश्वास को बताता है l उसने परमेश्वर की शांति के उपहार का अनुभव किया था जो यीशु को जानने से आता है, मृत्यु का सामना करते समय भी l
यरूशलेम का प्रथम शताब्दी का निवासी, शमौन, ने भी यीशु के कारण अद्भुत शांति का अनुभव किया l पवित्र आत्मा से अगुवाई पाकर, शमौन मंदिर में गया, जब मरियम और युसूफ बालक यीशु का खतना कराने के लिए लाए जैसा कि व्यवस्था में नवजात बालक के लिए अनुवार्य था l यद्यपि शमौन के विषय बहुत अधिक जानकारी नहीं है, लूका के वर्णन से एक व्यक्ति कह सकता है कि वह परमेश्वर का विशेष जन था, धर्मी और भक्त, जो उद्धारकर्ता/अभिषिक्त(Messiah) के आने का विश्वासयोग्यता से बाट जोह रहा था, और “पवित्र आत्मा उस पर था” (लूका 2:25) l फिर भी शमौन ने शालोम(शांति) का अनुभव नहीं किया, सम्पूर्णता का गहरा भाव, जब तक उसने यीशु को नहीं देखा l
यीशु को अपनी बाहों में उठाए हुए, शमौन ने स्तुति का एक गीत गाया, परमेश्वर की पूर्ण संतुष्टता को प्रगट किया l “अब तू अपने दास को अपने वचन के अनुसार शांति से विदा करता है, क्योंकि मेरी आँखों ने तेरे उद्धार को देख लिया है, जिसे तू ने सब देशों के लोगों के सामने तैयार किया है” (पद.29-31) l उसने शांति पायी क्योंकि उसने समस्त संसार के भावी आशा को पहले ही देख लिया था l
जब हम प्रतिज्ञात उद्धारकर्ता, यीशु, के जीवन, मृत्यु, और पुनरुत्थान का उत्सव मनाते हैं, हम परमेश्वर की शांति के उपहार में आनंदित हों l