किसी भी मोबाइल सेवा और मार्ग नक़्शे के बिना, हम आरम्भ से ही एक निश्चित नक़्शे की याद रखकर उसी के मार्गदर्शन में चल रहे थे l एक घंटे से अधिक समय के बाद, हम जंगल में से पार्किंग स्थल में पहुँच गए l मोड़ को भूलने पर जिससे हम आधी मील के भीतर यात्रा पूरी कर लेते, हमें कहीं अधिक लम्बी पैदल यात्रा करनी पड़ी l
जीवन ऐसा हो सकता है : हमें सरलता से यह नहीं पूछना है कि क्या कुछ सही है या गलत, परन्तु यह कहाँ ले जाएगा l भजन 1 जीवन जीने के दो तरीकों की तुलता करता है – धर्मी का (वे जो परमेशवर से प्यार करते हैं) और दुष्ट का (परमेश्वर से प्रेम करनेवालों के शत्रु) l धर्मी वृक्ष के समान फलते-फूलते हैं, परन्तु दुष्ट भूसी के समान उड़ जाते हैं (पद.3-4) l यह भजन प्रगट करता है कि फलना फूलना वास्तव में कैसा होता है l जो ऐसा जीवन जीता है वह नवीनीकरण और जीवन के लिए परमेश्वर पर निर्भर रहता है l
इसलिए हम किस प्रकार इस प्रकार का व्यक्ति बन सकते हैं? दूसरी चीजों में, भजन 1 हमसे विनाशकारी संबंधों और अस्वास्थ्यकर आदतों से अलग रहने और परमेश्वर के निर्देशों में आनंदित रहने का आग्रह करता है (पद.2) l आखिरकार, हमारे फलने फूलने का कारण परमेश्वर का हम पर ध्यान देना है : “यहोवा धर्मियों का मार्ग जानता है” (पद.6) l
अपने सारे मार्ग परमेश्वर पर डाल दो
,
उसे पुराने नमूनों से आपको पुनः निर्दिष्ट(
re-direct)
करने दें जो व्यर्थ की ओर ले जाते हैं और पवित्र वचन को दरिया बनने दें जो आपके हृदय की जड़ प्रणाली को पोषित करता है
l