पिछली गर्मियों में, तलेक्वा(Talequah) नामक एक व्हेल (मछली) ने जन्म दिया l हत्यारे व्हेल(killer whales) तलेक्वा जलीय स्तनधारियों (aquatic mammals) का समूह लुप्तप्रायः (endangered) था, और उसका नवजात भविष्य के लिए उनकी आशा थी l लेकिन उसका बच्चा एक घंटे से कम तक जीवित रहा l दुःख के इस दृश्य में जिसे दुनिया भर के लोग देख रहे थे, तलेक्वा ने अपने मृत बच्चे को छोड़ने से पहले सत्रह दिनों तक प्रशांत महासागर के ठन्डे पानी में धकेलती रही l
कभी-कभी मसीह में विश्वासियों को यह जानने में कठिनाई होती है कि दुःख के साथ क्या किया जाए l शायद हम डरते हैं कि हमारा दुःख आशा की कभी की तरह दिख सकता है l लेकिन बाइबल हमें मनुष्यों के कई उदाहरण देती है जो दुःख में परमेश्वर को पुकारते हैं l विलाप और आशा दोनों एक वफादार प्रतिक्रिया का हिस्सा हो सकते हैं l
विलापगीत पांच कविताओं की पुस्तक है जो उन लोगों के दुःख को व्यक्त करती है जो अपना घर खो चुके हैं l वे दुश्मनों द्वारा अहेर किये गए थे और मृत्यु के निकट थे (3:52-54). और वे रोते हैं और भगवान् से न्याय करने के लिए पुकारते हैं( पद.64) l वे परमेश्वर से न्याय लाने के लिए रोते और उसको पुकारते हैं l वे परमेश्वर को इसलिए नहीं पुकारते हैं कि उन्होंने आशा खो दी है, परन्तु इसलिए कि वे भरोसा करते हैं कि परमेश्वर सुन रहा है l और जब वे पुकारेंगे, परमेश्वर अवश्य ही निकट आता है (पद. 57) l
हमारे संसार में और अपने जीवन में टूटी वस्तुओं के विषय विलाप करना गलत नहीं है l परमेश्वर हमेशा सुन रहा है, और आप निश्चित हो सकते हैं की परमेश्वर स्वर्ग से नीचे देखेगा और आपको देखेगा l
आप अपनी सारी भावनाओं को परमेश्वर तक ले जाने का अभ्यास कैसे कर सकते हैं? कब आपने महसूस किया है कि परमेश्वर आपके दुःख में आपके निकट रहा है?
प्रेमी परमेश्वर, हमें स्मरण रखने में मदद कर कि अनैतिकता पर विलाप करना सही है इससे पहले की हम उसको बदलना आरम्भ करें l