वह युवा अपनी टीम का कप्तान बन गया l पेशेवर स्पोर्ट्स दल का नेतृत्व अब मृदुल-शिष्ट युवा कर रहा था, जिसे शायद ही दाढ़ी बनाने की ज़रूरत थी l उसकी पहली प्रेस कांफ्रेंस प्रभावशाली नहीं थी l वह अपने कोच और अपने साथियों की ओर झुका रहा, और वह अपनी जिम्मेदारी पूरी कर रहा है के विषय घिसा पिटा उत्तर बुदबुदाता रहा l टीम ने उस मौसम में खराब प्रदर्शन किया, और इसके अंत तक युवा कप्तान बदल दिया गया l वह यह नहीं समझ पाया कि नेतृत्व करने का अधिकार उसे सौंपा गया है, या शायद उसे कभी विश्वास नहीं हुआ कि वह ऐसा कर सकता है l

अपनी विफलताओं के कारण, शाऊल “अपनी [ही] दृष्टि में छोटा था” (1 शमूएल 15:17) – जो एक आदमी के बारे में कहने के लिए एक मजेदार बात है जिसे लम्बा बताया गया है l वह वास्तव में उल्लेखनीय रूप से बाकी लोगों से बेहतर था (9:2) l फिर भी वह उस तरीके से अपने को नहीं देखता था l वास्तव में, उस अध्याय में उसके कार्यों ने उसे लोगों की स्वीकृति जीतने की कोशिश करते हुए दिखाया है l वह पूरी तरह से समझ नहीं पाया था कि परमेश्वर ने – लोगों ने नहीं –  उसे चुना था और उसे एक मिशन(उद्देश्य) दिया था l

लेकिन शाऊल की गलती हर इंसान की विफलता की एक तस्वीर है : हम भूल सकते हैं कि उसके राज्य को प्रतिबिंबित करने के लिए हम परमेश्वर के स्वरुप में बनाए गए हैं, और ऐसा न हो कि हम अपने अधिकार का दुरुपयोग करते हुए अंत करें अर्थात् संसार में विनाश l इसे पूर्ववत करने के लिए, हमें परमेश्वर की ओर लौटने की आवशयकता है : पिता को हमें अपने प्रेम से परिभाषित करने दें, उसे हमें अपनी आत्मा से भरने दें, और यीशु को हमें दुनिया में भेजने दें l