मेरी रसोई की खिड़की के ठीक बाहर, एक कबूतर ने अपना घोंसला हमारी आँगन की छत के नीचे बनाया l उसका एक सुरक्षित स्थान पर घास रखना और उसके बाद अन्डे सेने मकसद से उन पर बैठना मुझे अच्छा लगा l प्रत्येक सुबह मैं उसकी प्रगति जांचती थी; लेकिन हर सुबह, वहां कुछ भी नहीं था l कबूतर के अन्डे से बच्चे निकलने में कुछ हफ्ते लगते हैं l

इस तरह की अधीरता मेरे लिए नई नहीं है l मैंने इंतज़ार करने के आगे हमेशा अथक प्रयास किया है, खासकर प्रार्थना में l मेरे पति और मैंने अपने पहले बच्चे को दत्तक लेने में पांच साल इंतज़ार किया l दशकों पहले, लेखिका कैथरीन मार्शल ने लिखा, “प्रार्थनाएं, अण्डों की तरह, रखते ही तुरंत नहीं फूटती हैं l”

नबी हबक्कूक ने प्रार्थना में प्रतीक्षा के साथ कुश्ती की l यहूदा के दक्षिणी राज्य के बाबुल के क्रूर दुर्व्यवहार के साथ परमेश्वर की चुप्पी से निराश, हबक्कूक “पहरे पर खड़ा [रहने], और गुम्मट पर चढ़कर [ठहरे रहने], और [ताकते रहने] कि मुझ से वह कहेगा” (हबक्कूक 2:1) के लिए समर्पित  होता है l परमेश्वर उत्तर देता है कि हबक्कूक को “नियत समय” तक इंतज़ार करना है (पद.3) और हबक्कूक को “दर्शन की बातें लिख” देने के लिए निर्देश देता है ताकि ये बातें दिए जाने के तुरंत बाद ही फ़ैल जाए (पद.2) l

परमेश्वर जो बातें उल्लिखित नहीं करता है वह यह है कि “नियत समय” जब बाबुल पराजित होगा वह छह दशक दूर है, जिससे प्रतिज्ञा और उसके पूरा होने के बीच एक लम्बा अंतर उत्पन्न करता है l अण्डों की तरह, प्रार्थनाएं अक्सर तुरंत पूरी नहीं होती हैं, बल्कि परमेश्वर के अति महत्वपूर्ण उद्देश्यों में हमारे संसार और हमारे जीवनों के लिए पूरी होती हैं l