अपने सहयोगी तरुण के साथ एक परियोजना में लगाएं गए, अशोक को एक बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ा : उसके और तरुण के बहुत अलग विचार थे कि कैसे कार्य आरंभ करें l जबकि वे एक दूसरे के मत का सम्मान करते थे, उनके दृष्टिकोण इतने अलग थे कि संघर्ष आसन्न लग रहा था l इससे पहले कि संघर्ष शुरू हुआ, हालाँकि, दोनों लोग अपने मालिक के साथ अपने मतभेदों पर चर्चा करने के लिए सहमत हुए, जिन्होंने उन्हें अलग-अलग टीमों में डाल दिया l यह एक समझदारी भरा कदम था l उस दिन, अशोक ने यह सबक सीखा : एकजुट होना का मतलब हमेशा एक साथ काम करना नहीं है l
अब्राहम को इस सच्चाई का एहसास हुआ होगा जब उसने सुझाव दिया था कि वह और लूत बेतेल में अपने अलग मार्ग को चुन लें (उत्पत्ति 13:5-9) l यह देखते हुए कि उनके दोनों झुंडों के लिए पर्याप्त जगह नहीं थी, अब्राहम ने समझदारी से साहचर्य छोड़ दी l लेकिन पहले, उसने बल देकर कहा कि वे “बाई-बंधू” (पद.8) हैं, लूत को आपसी सम्बन्ध याद दिलाया l फिर, अत्यधिक विनम्रता के साथ, उन्होंने अपने भतिजे को पहली पसंद (पद.9) दी, भले ही वह अब्राहम, वरिष्ठ व्यक्ति था l यह वैसे था, जैसा कि एक पास्टर ने वर्णन किया है, “एक सामंजस्यपूर्ण अलगाव l”
परमेश्वर द्वारा अद्वितीय रूप से बनाए जाने के कारण, हम पाते हैं कि हम एक ही लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए कभी-कभी अलग रहकर बेहतर काम करते हैं l विविधता में एक एकता है l हालाँकि, हम कभी नहीं भूलते, कि हम अभी भी परमेश्वर के परिवार में भाई-बहन हैं l हम चीजों को अलग तरीके से कर सकते हैं, लेकिन हम उद्देश्य में एकजुट रहते हैं l
विनम्रता “सामंजस्यपूर्ण अलगाव” में कैसे मदद कर सकती है? किसी विवादित मामले पर किसी से असहमत होने पर भी आप उद्देश्य में एकजुट कैसे रह सकते हैं? (रोमियों 14:1-10) l
हे परमेश्वर, मुझे एकता में दूसरों के साथ मिलकर काम करने में मदद करें, और मुझे फैसला करने में मदद करें कि अलग रहकर सर्वोत्तम तरीके से काम करने का समय कौन सा है l