जब फिल्म निर्माता वाईली ओवरस्ट्रीट ने अजनबियों को चंद्रमा की एक जीवित तस्वीर दिखाई, जैसा कि उनके शक्तिशाली दूरबीन के द्वारा देखा गया था, वे फुसफुसाहट और खौफ के साथ प्रतिक्रिया करते हुए, बहुत कम दूरी के दृश्य पर दंग रह गए थे l इस तरह के शानदार नज़ारे को देखने के लिए, उन्होंने समझाया, “यह हमें आश्चर्य से भर देता है कि कुछ हम लोग से बहुत बड़ा भी है l”

भजनकार दाऊद ने भी परमेश्वर के स्वर्गिक प्रकाश पर अचम्भा किया l “जब मैं आकाश को, जो तेरे हाथों का कार्य है, और चंद्रमा और तारागन को जो तू ने नियुक्त किये हैं, देखता हूँ; तो फिर मनुष्य क्या है कि तू उसका स्मरण रखे, और आदमी क्या है कि तू उसकी सुधि ले? (भजन 8:3-4) l

दाऊद का विनम्र प्रश्न हमारे खौफ को परिप्रेक्ष्य में ला देता है, जब हम सीखते है कि परमेश्वर के अपने नए स्वर्ग और पृथ्वी को बनाने के बाद, हमें चाँद या सूरज की आवश्यकता नहीं होगी l इसके बजाय, प्रेरित यूहन्ना ने कहा, कि परमेश्वर की झिलमिलाती महिमा समस्त आवश्यक प्रकाश प्रदान करेगी l “उस नगर में सूर्य और चाँद के उजियाले की आवश्यकता नहीं, क्योंकि परमेश्वर के तेज़ से उस में उजियाला हो रहा है, और मेम्ना उसका दीपक है . . . और रात वहां न होगी” (प्रकाशितवाक्य 21:23-25) l

यह कितना अद्भुत विचार है! फिर भी हम अभी उसकी स्वर्गिक ज्योति का अनुभव कर सकते हैं – केवल मसीह को ढूँढने के द्वारा, जो जगत की ज्योति है l ओवरस्ट्रीट के दृष्टिकोण में, “हमें अक्सर ऊपर देखना चाहिये l” जब हम ऐसा करते हैं, काश हम परमेश्वर को देखें l