तीन सौ बच्चों को कपड़े पहनाए गए और नाश्ते के लिए बैठाया गया और नाश्ता के लिए धन्यवाद की प्रार्थना की गई l लेकिन भोजन नहीं था! अनाथालय के निदेशक और मिशनरी जॉर्ज म्युलर (1805-1898) के लिए इस तरह की स्थिति असामान्य नहीं थी l यहाँ यह देखने का एक और अवसर था कि परमेश्वर कैसे प्रदान करेगा l म्युलर की प्रार्थना के कुछ ही मिनटों बाद, एक डबल रोटी बनाने वाला(baker) जो पिछली रात को सो न सका था दरवाजे पर दिखाई दिया l यह देखते हुए कि अनाथालय रोटी का उपयोग कर सकता है, उसने डबल रोटी के तीन खेप बनाए थे l थोड़ी ही देर में, शहर का दूधवाला(town milkman) दिखाई दिया l अनाथालय के सामने उसकी गाड़ी खराब हो गई थी l दूध को खराब होने से बचाने के लिए, उसने इसे म्युलर को दे दिया l
चिंता, धबराहट, और आत्म-तरस के समयों का अनुभव करना स्वाभाविक है जब हमारे सुख/स्वास्थ्य के लिए आवश्यक संसाधनों – भोजन, आश्रय, स्वास्थ्य, वित्त/पैसा, मित्रता – की कमी होती है l 1 राजा 17:8-16 हमें याद दिलाता है कि एक ज़रुरात्मन्द विधवा के अनापेक्षित श्रोतों द्वारा परमेश्वर की मदद पहुँच सकती है l “मेरे पास एक भी रोटी नहीं है केवल घड़े में मुट्ठी भर मैदा और कुप्पी में थोड़ा सा तेल है” (पद.12) l इससे पहले एक कौवा था जिसने एलिय्याह के लिए प्रबंध किया था (पद.4-6) l हमारी जरूरतों को पूरा करने की चिंता हमें कई दिशाओं में ढूँढने के लिए भेज सकती है l प्रबंध करनेवाले के रूप में परमेश्वर की स्पष्ट दृष्टि जिसने हमारी जरूरतों को पूरा करने का वादा किया है मुक्तिदायक हो सकता है l इससे पहले कि हम समाधान की तलाश करें, क्या हम पहले उसकी तलाश करने में सावधान हो सकते हैं l ऐसा करने से हमारा समय, ऊर्जा और निराशा बच सकती है l
जब आपने प्रदाता को प्रार्थना में लेने से पहले प्रावधान पर ध्यान केंद्रित किया हैं तो आपका क्या अनुभव रहा है? आप परमेश्वर के सामने किस मौजूदा ज़रूरत को लाएँगे?
पिता, मेरी सभी जरूरतों के लिए प्रदाता के रूप में आपके प्रति मेरी दृष्टि को तेज करें l मुझे उन समयों के लिए क्षमा करें जब आपको ढूँढने से पहले मैंने व्यर्थ ही अपना रास्ता खोजने की कोशिश की है l