प्रेम में जड़वत
“इसमें बस इतना ही करना है!” मैगी ने कहा । उसने अपने फूल के पौधे से एक तने को काट लिया था, उसने कटे हुए सिरे को शहद में डुबो दिया, और उसे कम्पोस्ट खाद से भरे बर्तन में गाड़ दिया । मैगी मुझे सिखा रही थी कि कैसे इन फूलों को बढ़ाया जाए : कैसे एक स्वस्थ पौधा से कई पौधे बनाए जाएँ, ताकि मेरे पास दूसरों के साथ साझा करने के लिए फूल हों । शहद, उसने कहा, छोटे पौधे की जड़ें उगाने में मदद करता है ।
उसको काम करते हुए देखकर, मुझे आश्चर्य हुआ कि किस तरह की चीजें हमें आध्यात्मिक जड़ें जमाने में मदद करती हैं । विश्वास के मजबूत, फलने-फूलने में परिपक्व लोग होने में हमें क्या मदद करती है? क्या हमें मुरझाने नहीं देती या विकास करने में मदद करता है? पौलुस, इफिसियों को लिखते हुए कहता है कि हम “प्रेम में जड़ पकड़कर और नेव डालकर” जड़वत हैं (इफिसियों 3:17) । यह प्रेम परमेश्वर से आता है, जो हमें पवित्र आत्मा देकर हमें मजबूत बनाता है । मसीह हमारे दिलों में निवास करता है l और जब हम “समझने की शक्ति [पाते हैं] कि उसकी(मसीह का प्रेम) चौड़ाई, और लम्बाई, और ऊँचाई, और गहराई कितनी है” (पद.18), तो हम परमेश्वर की उपस्थिति का एक समृद्ध अनुभव प्राप्त कर सकते हैं क्योंकि हम “परमेश्वर की सारी भरपूरी तक परिपूर्ण” हैं (पद.19 AMP) ।
आध्यात्मिक रूप से बढ़ने में परमेश्वर के प्रेम में जड़वत होना जरूरी है - इस सत्य का ध्यान करते हुए कि हम परमेश्वर के प्रिय हैं जो “हमारी विनती और समझ से कही अधिक काम कर सकता है” (पद.20) । हमारे विश्वास का कितना अविश्वसनीय आधार!
देखने के लिए आँखें
मुझे हाल ही में एनामॉर्फिक/anamorphic(पारस्परिक रूप से लंबवत त्रिज्या के साथ विभिन्न ऑप्टिकल इमेजिंग प्रभाव का उत्पादन) कला के आश्चर्य का पता चला । यादृच्छिक/क्रम रहित भागों के वर्गीकरण के रूप में पहली बार दिखाई देने पर, एक एनामॉर्फिक मूर्तिकला केवल सही कोण से देखे जाने पर समझ में आता है । एक टुकड़े में, लम्बवत स्तंभों की एक श्रृंखला एक प्रसिद्ध नेता के चेहरे को प्रकट करने के लिए संरेखित हैं । दूसरे में, केबल(cable) का एक ढेर एक हाथी की रूपरेखा बन जाता है । तार द्वारा निलंबित सैकड़ों काले बिन्दुओं से बनी एक और कलाकृति, सही ढंग से देखने पर एक महिला की आंख बन जाती है । एनामॉर्फिक कला की कुंजी इसे विभिन्न कोणों से देखने की है जब तक कि इसका अर्थ सामने नहीं आता ।
इतिहास, कविता और ज्यादा के हजारों छंदों के साथ, बाइबल कभी-कभी समझने में कठिन हो सकती है । लेकिन पवित्रशास्त्र स्वयं हमें बताता है कि इसका अर्थ कैसे अनलॉक किया जाए। इसके साथ एक एनामॉर्फिक मूर्तिकला की तरह व्यवहार करें : इसे विभिन्न कोणों से देखें और इस पर गहराई से ध्यान दें ।
मसीह के दृष्टान्त इस तरह काम करते हैं । जो लोग उन पर ध्यान देते हैं उन्हें उनका अर्थ देखने के लिए “आँखें” मिलेंगी (मत्ती 13:10-16) l पौलुस ने तीमुथियुस को उसके शब्दों पर “ध्यान” देने के लिए कहा ताकि परमेश्वर उसे अंतर्दृष्टि दे (2 तीमुथियुस 2:7) । और भजन 119 में बार-बार आने वाले शब्द पवित्रशास्त्र पर ध्यान देने का वह तरीका है जिससे बुद्धिमत्ता और अंतर्दृष्टि आती है जिससे उसके अर्थ समझने के लिए हमारी आँखें खुलती हैं (119:18, 97–99) ।
एक सप्ताह तक एक दृष्टान्त पर विचार करना या एक बैठक में एक सुसमाचार पढ़ना कैसा रहेगा? सभी कोणों से एक पद पर विचार करने में कुछ समय बिताएं । गहराई में जाएँ । बाइबल की अंतर्दृष्टि, पवित्रशास्त्र पर ध्यान देने से आती है, न कि इसे केवल पढ़ने से l
हे परमेश्वर, हमें देखने के लिए आंखें दीजिये l
कभी पर्याप्त नहीं
फ्रैंक बोरमन ने चंद्रमा की परिक्रमा करने वाले पहले अंतरिक्ष मिशन की कमान संभाली । वह प्रभावित नहीं हुआ l दोनों तरफ से यात्रा में दो दिनों का समय लगा l फ्रैंक को गति-मिचली/रुग्णता(motion sickness) हो गई और उसको उलटी आ गयी l उन्होंने कहा कि तीस सेकंड के लिए वजन रहित होना अच्छा था । फिर उसे इसकी आदत हो गई । पास में उसने चंद्रमा को धूसर और गड्ढेदार पाया l उनके कर्मी दल ने धूसर बंजर भूमि की तस्वीरें लीं, फिर ऊब गए ।
फ्रैंक वहाँ गया जहाँ पहले कोई नहीं गया था । यह पर्याप्त नहीं था l यदि वह इस संसार के बाहर के एक अनुभव से जल्दी थक गया, तो शायद हमें इस बात की अपेक्षा कम करनी चाहिए कि इसमें क्या निहित है । सभोपदेशक के शिक्षक ने देखा कि कोई भी सांसारिक अनुभव परम आनन्द प्रदान नहीं करता है । “न तो आँखें देखने से तृप्त होती हैं, और न कान सुनने से भरते हैं” (1: 8) । हम परम आनंद के क्षणों को महसूस कर सकते हैं, लेकिन हमारा उत्साह जल्द ही मिट जाता है और हम अगले रोमांच की तलाश करते हैं ।
फ्रैंक के पास एक जीवनदायक क्षण था, जब उसने पृथ्वी को चंद्रमा के पीछे अंधेरे से उठते देखा । नीले और सफ़ेद घूमते हुए संगमरमर की तरह, हमारा संसार सूरज की रोशनी में चमकने लगा l इसी तरह, हमारी सच्ची खुशी पुत्र(Son) से आती है जो हम पर चमकता है l यीशु हमारा जीवन, अर्थ, प्रेम और सौंदर्य का एकमात्र अंतिम स्रोत है । हमारी गहरी संतुष्टि इस दुनिया से आती है । हमारी समस्या? हम चंद्रमा तक जा सकते हैं, फिर भी बहुत दूर नहीं जाते हैं l
भटक जाना
मवेशियों के खेतों के पास रहते हुए, माइकल नामक एक हँसानेवाला(Comedian) देखा करता था कि किस तरह चरते-चरते गायों के भटक जाने की सम्भावना रहती थी l एक गाय अच्छे "हरे चरागाहों" की तलाश में आगे बढ़ती है l खेत के किनारे पर, गाय को एक छायादार पेड़ के नीचे कुछ अच्छी ताजा घास मिल जाती है l बाड़े के एक टूटे हिस्से के ठीक उस पार खाने लायक स्वादिष्ट वनस्पति है । फिर गाय बाड़ से परे सड़क तक चली जाती है । वह धीरे-धीरे “चरते हुए” खो जाती है l
घूमने की समस्या में गाय अकेले नहीं होती हैं । भेड़ें भी भटकती हैं, और इस बात की संभावना है कि लोगों में भटकने की सबसे बड़ी प्रवृत्ति है ।
शायद यही एक कारण है कि परमेश्वर बाइबल में हमारी तुलना भेड़ों से करता है । लापरवाह समझौता और मूर्खतापूर्ण निर्णयों के द्वारा दिशाहीन होकर “मार्ग भटक जाना” सरल हो सकता है, और ध्यान नहीं देना कि हम सच्चाई से कितनी दूर भटक गए हैं l
यीशु ने फरीसियों को एक खोई हुई भेड़ की कहानी सुनाई । भेड़ चरवाहे के लिए इतनी कीमती थी कि उसने अपनी दूसरी भेड़ों को पीछे छोड़ दिया जबकि उसने भटकी भेड़ को खोजा l और जब उसने भटकी हुई को खोज लिया, उसने जश्न मनाया! (लूका 15:1-7) ।
परमेश्वर की ऐसी प्रसन्नता उन लोगों पर है जो उनकी ओर फिरते हैं । यीशु ने कहा, “मेरे साथ आनंद करो, क्योंकि मेरी खोयी हुई भेड़ मिल गयी है”(पद.6) । परमेश्वर ने हमें बचाने और हमें घर लाने के लिए एक उद्धारकर्ता भेजा है ।