संगीत मण्डली निदेशक एरिआने एबेला ने अपने बचपन को अपने हाथों पर बैठकर बिताया – वह उन्हें छिपाना चाहती थी l जन्म से ही दोनों हाथों की ऊँगलियों के नहीं होने या एक साथ जुड़े होने के साथ-साथ, उसके पास बाँया पैर और उसके दाहिने पैर के पंजे नहीं थे l एक संगीत प्रेमी और उच्चतम स्वर(soprano) के साथ, उसने स्मिथ कॉलेज में शासन प्रणाली में विशिष्टता हासिल करने की योजना बनायीं थी l लेकिन एक दिन उसकी गायक-मण्डली के शिक्षक ने उसे गायक-मण्डली का संचालन करने के लिए कहा, जिससे उसके हाथ काफी दिखाई दिए l उस क्षण से, उसने अपनी जीविका (career) पाया, चर्च की गायक-मण्डलियों का संचालन किया और अब दूसरे विश्वविद्यालय की गायक-मण्डली के निदेशिका के रूप में काम कर रही है l एबेला बताती है, “मेरे शिक्षकों ने मुझमें कुछ देखा l”

उसकी प्रेरक कहानी विश्वासियों को यह पूछने के लिए आमंत्रित करती है, हमारी “सीमाओं” के बावजूद हमारा परमेश्वर, हमारा पवित्र शिक्षक, हममें क्या देखता है?  किसी भी चीज़ से अधिक, वह खुद को देखता है l “तब परमेश्वर ने मनुष्य को अपने स्वरूप के अनुसार उत्पन्न किया, अपने ही स्वरुप के अनुसार परमेश्वर ने उसको उत्पन्न किया; नर और नारी करके उसने मनुष्यों की सृष्टि की” (उत्पत्ति 1:27 NLT) l

उसके शानदार “छवि वाहक,” के रूप में जब अन्य लोग हमें देखते हैं, तो हमें उसे प्रतिबिंबित करना चाहिये l एबेला के लिए, इसका मतलब यीशु है, उसके हाथ – या उसकी ऊँगलियों की कमी – सबसे अधिक मायने नहीं रखती है l सभी विश्वासियों के लिए भी यही सच है l 2 कुरिन्थियों 3:18 में कहा गया है, “परन्तु जब हम सब के उघाड़े चेहरे से प्रभु का प्रताप इस प्रकार प्रगट होता है, जिस प्रकार दर्पण में, तो प्रभु के द्वारा जो आत्मा है, हम उसी तेजस्वी रूप में अंश अंश करके बदलते जाते हैं” (पद.18) l

एबेला के समान, हम मसीह की रूपांतरण करने वाले शक्ति (पद.18) द्वारा अपने जीवन को संचालित कर सकते हैं, एक जीवन गीत प्रस्तुत कर सकते हैं जो परमेश्वर के सम्मान के लिए बजता है l