जब मेरे भाई की अचानक हृदयाघात से मृत्यु हो गयी, जीवन के प्रति मेरा परिपेक्ष नाटकीय रूप से बदल गया l डेव सात बच्चों में चौथा था, लेकिन हममें से सबसे पहले गुज़र गया – और उसके गुजरने का अनापेक्षित स्वभाव ने मुझे बहुत अधिक विचार करने को मजबूर किया l यह स्पष्ट हो गया कि जैसे जैसे हमलोगों की आयु बढ़ने लगी हमारे परिवार का भविष्य लाभ से अधिक हानि से चिन्हित होने जा रहा था l यह हेलो के बराबर गुडबाई से चरितार्थ होने जा रहा था l

इनमें से कोई भी बौद्धिक रूप से चकित करनेवाला नहीं था – जीवन ऐसे ही कार्य करता है l लेकिन यह एहसास मस्तिष्क पर एक भावनात्मक वज्रपात की तरह था l इसने हर पल को एक तरोताजा, नया महत्व दिया जो जीवन हमें देता है और हर एक अवसर जो समय अनुमति देता है l और इसने एक ऐसे भविष्य के पुनर्मिलन की वास्तविकता को एक बड़ा नया मूल्य दिया,  जहां कभी भी किसी गुडबाई की ज़रूरत नहीं होगी l

प्रकाशितवाक्य 21:3-4 में जो हमें मिलता है, उसके केंद्र में यह परम वास्तविकता है : “परमेश्वर आप उनके साथ रहेगा और उनका परमेश्वर होगा l वह उनकी आँखों से सब आँसू पोंछ डालेगा; और इसके बाद मृत्यु न रहेगी, और न शोक, न विलाप, न पीड़ा रहेगी; पहली बातें जाती रहीं l”

हालाँकि आज हम खुद को लम्बे समय तक अलविदा कहने का अनुभव कर सकते हैं, लेकिन मसीह की मृत्यु और पुनरुत्थान में हमारा विश्वास अनंत काल तक हेलो का वादा करता है l