मवेशियों के खेतों के पास रहते हुए, माइकल नामक एक हँसानेवाला(Comedian) देखा करता था कि किस तरह चरते-चरते गायों के भटक जाने की सम्भावना रहती थी l एक गाय अच्छे “हरे चरागाहों” की तलाश में आगे बढ़ती है l खेत के किनारे पर, गाय को एक छायादार पेड़ के नीचे कुछ अच्छी ताजा घास मिल जाती है l बाड़े के एक टूटे हिस्से के ठीक उस पार खाने लायक स्वादिष्ट वनस्पति है । फिर गाय बाड़ से परे सड़क तक चली जाती है । वह धीरे-धीरे “चरते हुए” खो जाती है l
घूमने की समस्या में गाय अकेले नहीं होती हैं । भेड़ें भी भटकती हैं, और इस बात की संभावना है कि लोगों में भटकने की सबसे बड़ी प्रवृत्ति है ।
शायद यही एक कारण है कि परमेश्वर बाइबल में हमारी तुलना भेड़ों से करता है । लापरवाह समझौता और मूर्खतापूर्ण निर्णयों के द्वारा दिशाहीन होकर “मार्ग भटक जाना” सरल हो सकता है, और ध्यान नहीं देना कि हम सच्चाई से कितनी दूर भटक गए हैं l
यीशु ने फरीसियों को एक खोई हुई भेड़ की कहानी सुनाई । भेड़ चरवाहे के लिए इतनी कीमती थी कि उसने अपनी दूसरी भेड़ों को पीछे छोड़ दिया जबकि उसने भटकी भेड़ को खोजा l और जब उसने भटकी हुई को खोज लिया, उसने जश्न मनाया! (लूका 15:1-7) ।
परमेश्वर की ऐसी प्रसन्नता उन लोगों पर है जो उनकी ओर फिरते हैं । यीशु ने कहा, “मेरे साथ आनंद करो, क्योंकि मेरी खोयी हुई भेड़ मिल गयी है”(पद.6) । परमेश्वर ने हमें बचाने और हमें घर लाने के लिए एक उद्धारकर्ता भेजा है ।
किस तरीके से आप गलत दिशा में भटक रहे होंगे? जहां आपको होना चाहिये, वहाँ पहुँचने के लिए आपको कौन सा पहला कदम उठाने की जरूरत है?
स्वर्गिक पिता, मुझे लगता है कि मैं खोया हुआ हूँ l क्या मैं बहुत दूर भटक गया हूं? मेरे दिल को पुनर्निर्देशित कर और मुझे घर का रास्ता दिखा ।