लीना से किए गए वादों की गंभीरता से घबराया हुआ, जॉन ने अपनी शादी की कसमों को दोहराते हुए खुद को लड़खड़ाते हुए पाया । उसने सोचा, विश्वास किये बिना कि वादों को पूरा करना संभव है मैं ये वादे कैसे कर सकता हूं? उसने विवाह समारोह को पूरा किया, लेकिन उसकी प्रतिबद्धताओं का वजन बना रहा । स्वागत समारोह(reception) के बाद, जॉन अपनी पत्नी को चैपल/चर्च में ले गया, जहाँ उसने प्रार्थना की – दो घंटे से अधिक समय तक – कि परमेश्वर उसे लीना को प्यार करने और उसकी देखभाल करने के उसके वादे को निभाने में मदद करेगा ।

जॉन की शादी के दिन का खौफ उसके मानवीय भंगुरता की मान्यता पर आधारित थी । लेकिन परमेश्वर, की ऐसी कोई सीमा नहीं है जिसने अब्राहम की संतानों (गलतियों 3:16) के माध्यम से राष्ट्रों को आशीष देने का वादा किया था l

अपने यहूदी मसीही पाठकों को दृढ़ता और धैर्य से यीशु में अपने विश्वास में बने रहने के लिए चुनौती देने के लिए, इब्रानियों के लेखक ने अब्राहम को दी गयी परमेश्वर की प्रतिज्ञाएँ याद दिलायी, कुलपिता की धीरज से प्रतीक्षा और उन वादों की पूर्णता जो की गयी थी (इब्रानियों 6:13-15) l अब्राहम और सारा की वरिष्ठ नागरिकों के रूप में स्थिति, अब्राहम को “कई संतान” (पद.14) देने के परमेश्वर के वादे को पूरा करने में कोई बाधा नहीं थी ।

क्या कमजोर, निर्बल और मानवीय होने के बावजूद आप परमेश्वर पर भरोसा करने की चुनौती महसूस करते हैं? क्या आप अपनी वचनबद्धताओं, अपने संकल्पों और वादों को पूरा करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं? 2 कुरिन्थियों 12: 9 में, परमेश्‍वर हमारी मदद करने का वादा करता है : “मेरा अनुग्रह तेरे लिए बहुत है; क्योंकि मेरी सामर्थ्य निर्बलता में सिद्ध होती है l” छत्तीस से अधिक वर्षों तक परमेश्वर ने जॉन और लीना को अपने वादों के प्रति समर्पित रहने में मदद की है । उसकी मदद प्राप्त करने के लिए उस पर भरोसा क्यों नहीं?