माह: फ़रवरी 2021

फलने-फूलने के लिए छाँटा गया

जब मैंने एक भौंरा को फूलों की झाड़ी पर हल्के से बैठते देखा, मैंने झाड़ी की हरी-भरी शाखाओं को रंगों से विस्फोटित होते देख अचम्भा किया l इसके चमकदार नीले रंग के फूल मेरी आंखों को तथा मधुमक्खियों को समान रूप से आकर्षित कर रहा था l यद्यपि पिछले शरद ऋतू में, मैं सोच रहा था कि क्या वे फिर से कभी खिलेंगे l जब मेरी पत्नी के माता-पिता ने पेरिवंकल पौधे (periwinkle plant) को ठूंठ तक छाँट दिया, तो मैंने सोचा कि उन्होंने इससे छुटकारा पाने का फैसला किया है l लेकिन अब मैं छांटने जो मुझे क्रूर लगा था के उज्ज्वल परिणाम को देख रहा था l
कठोरता से काटने का एक परिणाम आश्चर्यजनक सुन्दरता का एक कारण हो सकता है कि यीशु ने विश्वासियों के मध्य परमेश्वर के कार्य को समझाने के लिए छांटने की छवि का उपयोग करने का चुनाव किया l यूहन्ना 15 में, वह कहता है, “सच्ची दाखलता मैं हूँ, और मेरा पिता किसान है l जो डाली मुझ में है और नहीं फलती, उसे वह काट डालता है . . . ताकि और फले” (पद.1-2) l
यीशु के शब्द हमें याद दिलाते हैं कि अच्छे और बुरे समय में, परमेश्वर हमेशा आध्यात्मिक नवीकरण और फलप्रदता की ओर काम करता जाता है (पद.5) l दुख या भावनात्मक बंजरता की “छंटाई” के मौसम के दौरान, हम सोच सकते हैं कि क्या हम फिर कभी पनपेंगे l लेकिन मसीह हमें उसके निकट रहना जारी रखने के लिए प्रोत्साहित करता है : “जैसे डाली यदि दाखलता में बनी न रहे तो अपने आप से नहीं फल सकती, वैसे ही तुम भी यदि मुझ में बने न रहो तो नहीं फल सकते” (पद.4) l
जैसा कि हम लगातार यीशु से आध्यात्मिक पोषण प्राप्त करते हैं, परिणामस्वरूप हमारे जीवन में सुंदरता और परिपूर्णता (पद. 8) परमेश्वर की भलाई दिखेगा l

चट्टान पर एक घर

एक अमेरिकी राज्य के लगभग 34,000 घरों के खराब नींव के कारण उनके गिरने का खतरा है l यह अहसास किये बगैर, एक पत्थर/कंक्रीट कंपनी ने खदान से एक खनिज मिश्रित पत्थर निकाले, जो समय के साथ, पत्थर में दरार उत्पन्न कर उन्हें विघटित कर देता है l लगभग छह सौ घरों की नींव पहले ही कमजोर हो चुकी है, और समय के साथ यह संख्या बढ़ने की संभावना है l
यीशु हमारी जिंदगी के अस्थिर भूमि पर बनने के खतरे को समझाने के लिए उन्होंने खराब नीव पर बने घर का उद्धारण दिया. उन्होंने समझाया कि हममें से कुछ लोग मजबूत चट्टान पर अपने जीवन का निर्माण करते हैं, यह सुनिश्चित करते हुए कि हम प्रचंड तूफानों का सामना करते समय ठोस रहें l हालांकि, हम में से अन्य, रेत पर अपना जीवन बनाते हैं; और जब प्रचंड आंधी चलती है, तो हमारे जीवन गिर जाता है “एक महान दुर्घटना के साथ”(मत्ती 7:27) l एक दृढ़ नींव और एक ढहते हुए निर्माण के बीच अंतर यह है कि क्या हम मसीह के शब्दों पर “चलते” (पद.26) हैं या नहीं l सवाल यह नहीं है कि हम उनके शब्दों को सुनते हैं या नहीं, लेकिन क्या हम उनका अभ्यास करते हैं जब वह हमें सक्षम बनाता है l
इस दुनिया में हमें बहुत ज्ञान दिया गया है - साथ ही बहुत सारी सलाह और मदद भी - और इनमें से अधिकाधिक अच्छा और लाभदायक है l यदि हम अपने जीवन को परमेश्वर के सत्य के प्रति विनम्र आज्ञापालन के अलावा किसी भी आधार पर रखते हैं, तो हम परेशानी को आमंत्रित करते हैं l उसकी सामर्थ्य में, परमेश्वर जो कहता है वही एकमात्र तरीका है चट्टान पर, एक घर एक जीवन बनाने का l