जब मैंने एक भौंरा को फूलों की झाड़ी पर हल्के से बैठते देखा, मैंने झाड़ी की हरी-भरी शाखाओं को रंगों से विस्फोटित होते देख अचम्भा किया l इसके चमकदार नीले रंग के फूल मेरी आंखों को तथा मधुमक्खियों को समान रूप से आकर्षित कर रहे थे l यद्यपि पिछले शरद ऋतू में, मैं सोच रहा था कि क्या वे फिर से कभी खिलेंगे l जब मेरी पत्नी के माता-पिता ने पेरिवंकलपौधे (periwinkle plant) को ठूंठ तक छाँट दिया, तो मैंने सोचा कि उन्होंने इससे छुटकारा पाने का फैसला किया है l लेकिन अब मैं छांटने जो मुझे क्रूर लगा थाके उज्ज्वल परिणाम को देख रहा था l
कठोरता से काटने का एक परिणाम आश्चर्यजनक सुन्दरता का एक कारण हो सकता है कि यीशु ने विश्वासियों के मध्य परमेश्वर के कार्य को समझाने के लिए छांटने की छवि का उपयोग करने का चुनाव किया l यूहन्ना 15 में, वह कहता है, “सच्ची दाखलता मैं हूँ, और मेरा पिता किसान है l जो डाली मुझ में है और नहीं फलती, उसे वह काट डालता है . . . ताकि और फले” (पद.1-2) l
यीशु के शब्द हमें याद दिलाते हैं कि अच्छे और बुरे समय में, परमेश्वर हमेशा आध्यात्मिक नवीकरण और फलप्रदता की ओर काम करता जाता है (पद.5) l दुख या भावनात्मक बंजरता की “छंटाई” के मौसम के दौरान, हम सोच सकते हैं कि क्या हम फिर कभी पनपेंगे l लेकिन मसीह हमें उसके निकट रहना जारी रखने के लिए प्रोत्साहित करता है : “जैसे डाली यदि दाखलता में बनी न रहे तो अपने आप से नहीं फल सकती, वैसे ही तुम भी यदि मुझ में बने न रहो तो नहीं फल सकते” (पद.4) l
जैसा कि हम लगातार यीशु से आध्यात्मिक पोषण प्राप्त करते हैं, परिणामस्वरूप हमारे जीवन में सुंदरता और परिपूर्णता (पद. 8) परमेश्वर की भलाई दिखेगा l