मेरी माँ अपनी जिन्दगी के दौरान बहुत सारी चीजों के प्रति समर्पित रही है, लेकिन छोटे बच्चों का यीशु से परिचय कराना निरंतर उनकी इच्छा में बनी रही l कई एक बार मैंने अपनी माँ को सर्वजनिक रूप में असहमत होते देखा, सब उपस्थित थे जब किसी ने कुछ और को अधिक “गंभीर खर्च” समझकर उसके पक्ष में बच्चों की सेवा बजट में कटौती करने का प्रयास किया l “एक गर्मी के मौसम में मैंने छुट्टी ले ली जब मैं तुम्हारे भाई के साथ गर्भवती थी, यही सही था,” वह मुझसे बोली l मैंने थोड़ा पारिवारिक गणित किया और मैंने एहसास किया कि मेरी माँ पचपन सालों से चर्च में बच्चों के साथ काम कर रही थी ।
मरकुस 10 सुसमाचारों में मनभावन कहानियों में से एक को अंकित करता है जिसे आम तौर पर “छोटे बच्चे और यीशु” शीर्षक दिया जाता है l लोग बच्चों को यीशु के पास ला रहे थे कि वह उन पर हाथ रखें और उन्हें आशीष दे । पर चेलों ने इसे रोकने की कोशिश की । मरकुस उल्लेख करता है कि यीशु “क्रोधित” हुआ──और अपने ही चेलों को डांटा : “बालकों को मेरे पास आने दो और उन्हें मना मत करो, क्योंकि परमेश्वर का राज्य ऐसों ही का है” (पद.14) l
चार्ल्स डिकिन्स ने लिखा, “मैं इन छोटे लोगों से प्यार करता हूँ; और यह कोई मामूली बात नहीं जब वे, जो परमेश्वर की ओर से इतने नये हैं, हमसे प्यार करते है ।“ और यह कोई मामूली बात नहीं जब हम, जो उम्रदार हैं, यह सुनिश्चित करने के लिए सब करते हैं जो हम कर सकते है कि यीशु के हमेशा नया रहनेवाले प्रेम से बच्चे कभी वंचित न रह जाएँ l
यदि यीशु से आपका परिचय बचपन में हुआ, उस स्मरण में सहायया करनेवाले व्यस्क कौन थे? इस कहानी में यीशु का क्रोधित होना आप पर किस तरह का छाप छोड़ती है?
यीशु, मुझे बच्चों सहित सब लोगों को, आपके प्रेम और उपस्थिति को प्रकट करने में मेरी मदद करें । मुझे उन तरीकों में सावधानी रखने में सुनिश्चित करें कि वे हमेशा आपके पास आ सकते हैं l