वर्षों पहले एक शाम, हम दोनों पति-पत्नी दो मित्रों के साथ पहाड़ की पगडंडी से नीचे उतर रहे थे l वह पगडंडी संकरी थी और एक ढलान के चारों ओर घूमकर जाती थी जिसके एक ओर खड़ी गहरी ढाल और दूसरी ओर अलंघ्य किनारा था l
जैसे हम एक मोड़ के निकट पहुंचे, मैंने एक विशाल भालू को आराम से जाते देखा, जो दोनों ओर अपना सिर हिलाते हुए नीचे स्वर में हांफ रहा था l हम हवा के रुख के साथ थे, और उसे हमारी उपस्थिति का पता नहीं चला था, लेकिन जल्द ही पता चल जाता l
हमारे मित्र ने अपने जैकेट में कैमरा ढूंढ मारी l “ओह, मुझे एक तस्वीर लेनी है!” मैंने अपनी परिस्थिति से कम सहज होते हुए कहा, “नहीं, हमें यहाँ से निकल जाना चाहिए l” इसलिए हम चुपचाप पीछे हट गए जब तक कि हम उसकी दृष्टि से ओझल नहीं हो गए──और भाग नहीं गए l
ऐसे ही हमें धनी होने के खतरनाक जुनून को महसूस करना चाहिए । पैसे में कुछ भी गलत नहीं है; यह सिर्फ लेन-देन का एक माध्यम है । परन्तु जो धनी होना चाहते हैं वे “ऐसी परीक्षा और फंदे और बहुत सी व्यर्थ और हानिकारक लालसाओं में फंसते हैं, जो मनुष्यों को बिगाड़ देती हैं और विनाश के समुद्र में डूबा देती है,” पौलुस ने लिखा (1 तीमुथियुस 6:9) l धन सिर्फ अधिक पाने का प्रेरक है ।
इसके बदले, हम “धर्म, भक्ति, विश्वास, प्रेम, धीरज और नम्रता का पीछा [करें]” (पद.11) l इस तरह की प्रवृतियाँ हममें विकसित होती हैं जब हम उनका पीछा करते हैं और परमेश्वर से उन्हें हमारे अन्दर आकार देने के लिए कहते हैं l इस प्रकार हम गहरी संतुष्टि को प्राप्त करते हैं जो हम परमेश्वर में ढूंढते हैं ।
जीवन में आपका जुनून क्या है? आप उन लक्षणों का पीछा कैसे करेंगे जो आपको अधिकाधिक यीशु की तरह बनाएगा?
हे परमेश्वर, मैं और अधिक मसीह की तरह बनने के लिए उन्नति करना चाहता हूँ l जो आप मुझे सिखाना चाहते है उसमें आपके साथ सहयोग करने में मेरी मदद करें।