जब जोनी इरटन टाडा एक तैराकी दुर्घटना में पीड़ित होने के बाद घर लौटी, जिससे उसके  गर्दन से नीचे पूरे शरीर में लकवा मार गया, उसका जीवन बहुत अधिक भिन्न हो गया था l  अब दरवाजे उसके व्हीलचेयर के लिए बहुत संकरे थे और वाश बेसिन काफी ऊँचे थे । जब तक कि उसने खुद भोजन करने का तरीका फिर से सीखने का फैसला नहीं किया, किसी को उसे खिलाना पड़ता था l पहली बार अपने बाँह की खपच्ची की मदद से एक विशेष चमच्च अपने मुँह तक ले जाते समय, उसने खुद को अपमानित महसूस किया जब उसने अपने कपड़ों पर एप्पल सॉस फैला दी l लेकिन वह कोशिश करती रही । जैसा कि वह कहती है, “मेरा रहस्य यीशु पर सहारा लेना सीखना और कहना था, ‘हे प्रभु, इसमें मेरी मदद कर!’” आज वह एक चम्मच का उपयोग बहुत ही अच्छे से करती है ।

जोनी कहती है उसके एकांतवास ने उसे एक और कैदी──प्रेरित पौलुस, जो रोम के जेल में कैद था──और फिलिप्पियों को लिखी उसकी पत्री की ओर देखने को विवश किया l पौलुस ने जो हासिल किया था उस के लिए जोनी प्रयासरत थी : “मैं ने यह सीखा है कि जिस दशा में  हूँ; उसी में संतोष करूं” (फिलिप्पियों 4:11) । ध्यान दे कि पौलुस को शांत रहना सीखना पड़ा; वह स्वाभाविक रूप से शांतिमय नहीं था । उसने संतोष कैसे पाया? मसीह पर भरोसा करने के द्वारा : “जो मुझे सामर्थ्य देता है उसमें मैं सब कुछ कर सकता हूँ” (पद.13) l 

हम सब समस्त दिनों में विभिन्न चुनौतियों का सामना करते है; और हम सब यीशु की ओर मदद, सामर्थ्य और शांति के लिए पल-पल देख सकते हैं l वह हमें अपने प्रिय जनों पर तंज कसने से रोकने में सहायता करेगा; वह हमें अगला कठिन काम करने का साहस देगा l उसकी ओर देखें और संतोष प्राप्त करें l