विलाप करना ठीक है
मैं अपने घुटनों पर गिरी और अपने आँसुओं को फर्श पर गिरने दिए । “परमेश्वर, आप क्यों मेरा देखभाल नही कर रहे है?” मैं रोयी l यह 2020 की कोविड-19 महामारी के समय था । मैं लगभग एक महीने से नौकरी से निकाली गई थी, और मेरी बेरोजगारी के आवेदन में कुछ गड़बड़ी हो गयी थी l मुझे अभी तक कोई पैसा भी नहीं मिला था, और अमेरिकी सरकार ने जिस प्रोत्साहन राशि का वादा किया था अभी तक नहीं पहुंची थी । मैंने अपने दिल की गहराई में परमेश्वर पर भरोसा किया कि परमेश्वर सब कुछ ठीक करेगा । मैंने विश्वास किया कि वह सच में मुझसे प्यार करता था और मेरा ख्याल रखेगा, लेकिन उस समय, मैंने अपने आप को त्यागा हुआ महसूस किया ।
विलापगीत की पुस्तक हमे स्मरण दिलाती है कि विलाप करना ठीक है । यह पुस्तक सम्भवतः बबिलोनियों द्वारा यरूशलेम नष्ट करने के दौरान या इसके तुरंत बाद 587 ई.पू. में लिखी गयी थी । यह दुःख (3:1,19), अत्याचार (1:18) और भुखमरी (2:20; 4:10) का वर्णन करती है जिनका लोगों ने सामना किया । फिर भी पुस्तक के मध्य में लेखक को याद आता है कि वह क्यों आशा कर सकता है : “हम मिट नहीं गए; यह यहोवा की महाकरुणा का फल है, तेरी सच्चाई महान् है l प्रति भोर वह नई होती रहती है; तेरी सच्चाई महान् है” (3:22-23) l विनाश के बावजूद, लेखक स्मरण करता है कि परमेश्वर विश्वासयोग्य रहता है l
कभी-कभी यह विश्वास करना असम्भव महसूस होता है कि “जो यहोवा की बाट जोहते और उसके पास जाते हैं, उनके लिए यहोवा भला है” (पद.25), खासतौर तब, जब हम अपने कष्टों का अंत नहीं देखते है l लेकिन हम उसे पुकार सकते है, भरोसा कर सकते है कि वह हमारी सुनता है, और वह उस समय भी हमारे लिए विश्वासयोग्य रहेगा ।
एक उल्लेखनीय जीवन
मुझे ऑस्ट्रेलिया की एक असाधारण शल्यचिकित्सक कैथरीन हैमलिन की निधन सूचना पढ़ने के बाद उनके बारे में पता चला l इथियोपिया में, कैथरीन और उनके पति ने विश्व के एकमात्र हॉस्पिटल की स्थापना की जो शरीर की विनाशकारी और प्रसूति नासूर(obstetric fistula) के भावनात्मक आघात का इलाज करने के लिए समर्पित किया गया जो विकासशील संसार में एक सामान्य क्षति के रूप में बच्चे के जन्म के समय हो सकता है l कैथरीन को 60,000 से ज्यादा महिलाओं के इलाज की देखरेख का श्रेय दिया गया ।
हैमलिन बानवे की उम्र तक हॉस्पिटल में काम करती रही और अपने हर दिन की शुरुआत एक कप चाय और बाइबल अध्ययन से करती हुयी, जिज्ञासा से प्रश्न पूछनेवालों से कहा कि वह यीशु में एक साधारण विश्वासी है जो केवल वही कार्य कर रही थी जो परमेश्वर ने उसे दिया था l
मैं उनके असाधारण जीवन के बारे में जानकर आभारी थी क्योंकि उन्होंने मेरे लिए पवित्रशास्त्र के प्रोत्साहन को हमारे जीवन को इस तरह जीने के लिए उदाहरण प्रस्तुत किया, यहाँ तक कि जो परमेश्वर को सक्रिय रूप से अस्वीकार करते हैं “वे भी [हमारे] भले कामों को देखकर . . . परमेश्वर की महिमा करें” (1 पतरस 2:12) l
परमेश्वर के आत्मा की सामर्थ्य जो हमें आत्मिक अंधकार से निकालकर उसके साथ एक रिश्ते में बुलाया है (पद. 9) हमारे काम या हमारी सेवा क्षेत्रों को विश्वास की गवाही में परिवर्तित कर सकता है । परमेश्वर ने जो भी जुनून या कौशल हमें उपहार के तौर पर दिए हैं, हम उन सभी को करने में अतिरिक्त सार्थकता और उद्देश्य के साथ इस प्रकार करें जिसके पास लोगों को उसकी ओर इंगित करने की ताकत हो l
न्याय का परमेश्वर
शायद यह इतिहास का सबसे महान “बलि की गाय” थी। हम नही जानते कि उसका नाम डेज़ी, मेडलिन, या ग्वेंडोलिन था (हर एक नाम सुझाया गया नाम है), पर शिकागो में 1871 की आग के लिए श्रीमती ओ’लियरी की गाय को दोषी माना गया जिसके कारण शहर का हर तीसरा निवासी बेघर हो गया था l लकड़ियों की संरचनाओं में से गुज़रती हुयी आग तेज हवा के कारण तीन दिनों तक जलती रही और लगभग तीन-सौ लोगों की जान ले ली l
कई वर्षों तक, लोगों को यह लगा कि किसी गौशाले में रात को जलती हुयी लालटेन को उस गाय द्वारा ठोकर मारने के कारण आग लगी थी l अगली छानबीन के बाद──126 साल बाद──पुलिस और अग्नि की शहरी समिति ने स्वीकृत प्रस्ताव पारित कर गाय और उसके मालिक को दोषमुक्त करते हुए पड़ोसियों की अनुबद्ध जांच का सुझाव दिया l
न्याय अक्सर समय लेता है, और पवित्र शास्त्र स्वीकार करता है कि यह कितना मुश्किल हो सकता है l राग में दोहराने के शब्द, "कब तक?" भजन 13 में चार बार दोहराए गए हैं, “हे परमेश्वर, कब तक?” क्या सदैव मुझे भुला रहेगा? तू कब तक अपना मुखड़ा मुझसे छिपाए रहेगा? मैं कब तक अपने मन ही मन में युक्तियाँ करता रहूँ, और दिन भर अपने हृदय में दुखित रहा करूं? कब तक मेरा शत्रु मुझ पर प्रबल रहेगा?” (पद. 1-2) l लेकिन अपने विलाप के मध्य, दाऊद विश्वास और आशा का कारण ढूंढ लेता है : “परन्तु मैंने तो तेरी करुणा पर भरोसा रखा है; मेरा हृदय तेरे उद्धार से मगन होगा (पद.5) ।”
यहाँ तक कि जब न्याय विलंबित होता है, परमेश्वर का प्रेम हमें कभी धोखा नहीं देगा l हम उस में भरोसा कर सकते हैं और आराम पा सकते है न केवल उस पल के लिए परन्तु हमेशा के लिए l