शिष्यता सम्मलेन में पूरे सप्ताह गर्मी के मौसम की गर्मी और उमस ने हमें घेर लिया, लेकिन आखिरी दिन हमने ठंडी हवा के झोंके का स्वागत किया । मौसम में बदलाव और परमेश्वर द्वारा किये गए अद्भुत कार्य के लिए धन्यवाद देते हुए, सैंकड़ों ने परमेश्वर की प्रशंसा, आराधना करने के लिए अपनी आवाजें मिलाईं । कईयों ने परमेश्वर के समक्ष पूरे दिल से गाने के लिए स्वतंत्रता का अनुभव करते हुए, हृदयों, आत्माओं, शरीरों, और मनों को उसके सामना अर्पित किया । जब मैं दशकों बाद उस दिन के विषय विचार करती हूँ, मुझे परमेश्वर की प्रशंसा के निर्मल आश्चर्य और आनंद की याद आती है । 

राजा दाऊद जानता था कि परमेश्वर की आराधना पूरे मन से कैसे की जाती है । वह अतिआनन्दित हुआ──नाचने, कूदने, और उत्सव मनाने के द्वारा──जब वाचा का संदूक, जो परमेश्वर की उपस्थिति प्रगट करता था, यरूशलेम में पहुँचा । (1 इतिहास 15:29) । यद्यपि उसकी पत्नी मीकल ने उसके उन्माद पर ध्यान दिया और “उसे मन ही मन तुच्छ जाना” (पद.29), दाऊद ने उसकी आलोचना को उसे एक सच्चे परमेश्वर की आराधना करने से रोकने नहीं दिया । यहाँ तक कि यदि वह मर्यादाहीन दिख भी रहा था, वह परमेश्वर को राष्ट्र की अगुवाई करने में उसका चुनाव करने के लिए धन्यवाद देना चाहता था (2 शमूएल 6:21-22 देखें) । 

दाऊद ने “यहोवा का धन्यवाद करने का काम आसाप और उसके भाइयों  को सौंप दिया : यहोवा का धन्यवाद करो, उससे प्रार्थना करो; देश देश में उसके कामों का प्रचार करो , उसके सब आश्चर्यकर्मों का ध्यान करो” (1 इतिहास 16:7-9) । हम भी अपनी प्रशंसा और भक्ति को उंडेल कर परमेश्वर की पूर्ण आराधना करने में अपने को समर्पित करें ।