अभी हाल ही में हम अपने पुराने घर से कुछ दूर अपने अन्य घर में आए हैं l निकट होने के बावजूद भी, हमें आर्थिक लेन-देन के समय के कारण एक सामान ले जानेवाले ट्रक में अपना सारा सामान लोड करना पड़ा l पुराने घर के बेचने और नया घर खरीदने के बीच, हमारा साज-सामान ट्रक पर ही रखा रहा और हमारे परिवार ने अस्थायी निवास ढूंढ लिया l उस समय के दौरान, मैं यह जानकार चकित हुयी कि किस प्रकार “घर में” हमने हमारे भौतिक घर से विस्स्थापन महसूस की─केवल इसलिए क्योंकि मैं अपने सबसे प्रियों के साथ थी : मेरा परिवार l
अपने जीवन में कुछ समय, दाऊद के पास एक भौतिक घर नहीं था l उसने राजा शाऊल के कारण भगोड़ा का जीवन जीया l सिंहासन पर परमेश्वर के नियुक्त उत्तराधिकारी के रूप में, शाऊल, दाऊद को ख़तरा के रूप में देखता था और उसकी हत्या करने की कोशिश की l दाऊद अपने घर से भाग गया और जहां भी उसे आश्रय मिला वह सो गया l यद्यपि उसके साथ साथी थे, दाऊद की दिली इच्छा “यहोवा के भवन में” रहने की थी─उसके साथ स्थायी सहभागिता का आनंद लेने के लिए (भजन 27:4) l
चाहे हम कहीं भी हैं, यीशु हमारा निरंतर साथी है, हमारे “घर” का अहसास है l वह हमारे वर्तमान परेशानियों में है और वह उसके साथ रहने के लिए हमारे लिए घर भी तैयार कर रहा है (यूहन्ना 14:3) l इस पृथ्वी के नागरिक होकर अनिश्चितता और परिवर्तन का अनुभव के बावजूद, हम प्रति दिन और हर जगह उसके साथ अपनी संगति में स्थायी रूप से निवास कर सकते हैं l
आपने कब परमेश्वर की उपस्थिति में सबसे अधिक अपने घर की तरह अनुभव किया? आप कैसे जान सकते हैं कि यीशु आपका निरंतर साथी है और आप जहां हैं और आप जिस परिस्थिति से गुज़र रहें हैं के बावजूद, वह निरंतर आपके साथ हैं?
प्रेमी परमेश्वर, मैं आपका धन्यवाद करता हूं कि आप मेरा स्थाई पता है। मेरी सहायता करें कि मैं जहां भी जाऊं मैं पहचान सकूं कि आप ही मेरे सबसे विश्वासयोग्य साथी हैं।