चिड़ियाघर की यात्रा के दौरान, मैं स्लॉथ (Sloth)  (दक्षिण व मध्य अमेरिका में पाया जाने वाला  एक आलसी जानवर जो पेड़ों में रहता है), के पास आराम करने के लिए रुक गया। वह जीव उल्टा लटका हुआ था । ऐसा लग रहा था कि वह संन्तुष्ट है क्योंकि वह पूरी तरह से (शांत)  स्थिर था । मैंने आह भरी। अपने स्वास्थ्य के मुद्दों के कारण, मैं स्थिरता से संघर्ष कर रहा था और कुछ भी करने के लिए मैं निराशा से भर कर आगे बढ़ना चाहता था। अपनी बाधाओं पर कुढ़ते हुये, मैं इतना कमजोर महसूस करना बंद करना चाहता था। लेकिन स्लॉथ  को मैंने देखा कि कैसे उसने अपना एक हाथ बढ़ाया, पास की एक शाखा को पकड़ लिया, और फिर रुक गया। स्थिर  होने में भी शक्ति की आवश्यकता है। अगर मैं धीमी गति से चलने या स्लॉथ की तरह स्थिर रहना चाहता था, तो मुझे अविश्वसनीय मांसपेशियों की शक्ति से अधिक की आवश्यकता थी। अपने जीवन के हर खींचे जाने वाले क्षण में ईश्वर पर भरोसा करने के लिए मुझे अलौकिक शक्ति की आवश्यकता थी।

भजन संहिता 46 में, लेखक घोषणा करता है कि परमेश्वर हमें केवल शक्ति ही नहीं देता, वह हमारी शक्ति है (पद 1)। हमारे आसपास कुछ भी हो उससे  कोई फर्क नहीं पड़ता क्योंकि, सर्वशक्तिमान प्रभु हमारे साथ है (पद 7)। भजनकार इस सत्य को विश्वास के साथ दोहराता है (पद 11)।

स्लॉथ की तरह  हमारे दिन–प्रतिदिन के कामों के लिए अक्सर धीमे कदमों और असंभव प्रतीत होने वाली स्थिरता की लंबी अवधि की आवश्यकता होती है। जब हम परमेश्वर के अपरिवर्तनीय चरित्र पर भरोसा करते हैं, तो हम उसकी शक्ति पर निर्भर हो सकते हैं, चाहे वह हमारे लिए कोई भी योजना और गति निर्धारित करे जो सही हो।

यद्यपि हम कष्टों से लड़ना जारी रख सकते हैं या प्रतीक्षा के साथ संघर्ष कर सकते हैं, परमेश्वर विश्वासपूर्वक उपस्थित रहता है। यहां तक कि जब हम बलशाली महसूस नहीं करते हैं, तब भी वह हमारे विश्वास की मांसपेशियों को फैलाने में हमारी मदद करेगा।