कटे हुए फूल नीलगिरी से आए थे। जब तक वे मेरे घर पहुंचे, वे झुके हुए और सड़क पर थके हुए थे। निर्देशों ने उन्हें ताज़ा पानी के ठंडे पेय के साथ पुनर्जीवित करने को कहा। हालाँकि, उससे पहले, फूलों के तनों को काटना पड़ता ताकि वे पानी को अधिक आसानी से पी सकें। लेकिन क्या वे बच पाते?

अगली सुबह, मुझे मेरा उत्तर मिला। नीलगिरी के गुलदस्ते का एक शानदार नजारा था, फूलों की विशेषता जो मैंने पहले कभी नहीं देखी था। ताजे पानी ने सारा फर्क लाया था।— जो यीशु ने पानी और विश्वासी होना क्या होता है के बारे में कहा एक अनुस्मारक था।

 जब यीशु ने सामरी स्त्री से पीने के लिए पानी माँगा—इसका मतलब जो पानी वह कुएं से निकलती वह पिते—उन्होंने उसका जीवन बदल दिया। वह उनके गुजारिश से चौंक गई। यहूदी सामरी को नीची नज़र से देखते थे। लेकिन यीशु ने कहा, “यदि तू परमेश्‍वर के वरदान को जानती, और यह भी जानती कि वह कौन है जो तुझसे कहता है, ‘मुझे पानी पिला,’ तो तू उससे माँगती, और वह तुझे जीवन का जल देता।” (4:10)। बाद में, मन्दिर में, उन्होंने कहा, “यदि कोई प्यासा हो तो मेरे पास आए और पीए।”(7:37)। जिन्होंने उस पर विश्वास किया उन में से, “उसके हृदय में से जीवन के जल की नदियाँ बह निकलेंगी उसने यह वचन पवित्र आत्मा के विषय में कहा, जिसे उस पर विश्‍वास करनेवाले पाने पर थे;” (38-39)।

आज जब हम थके हुए होते हैं तो परमेश्वर का ताजगी देने वाली आत्मा हमें पुनर्जीवित करती है। वह जीवित जल है जो पवित्र ताजगी के साथ हमारे आत्मा में बास करता है। आज हम गहरा पिए।