मैं सोमवार से डरता था l कभी-कभी, जब मैं अपनी पिछली नौकरी पर जाने के लिए ट्रेन से उतरता था, तो मैं स्टेशन पर थोड़ी देर के लिए बैठ जाता, बिल्डिंग तक पहुँचने में थोड़ा समय लगाता, भले ही केवल कुछ मिनटों के लिए ही सही l मेरा हृदय तेजी से धड़कता था जब मैं समय सीमा को पूरा करने और एक तुनकमिज़ाज बॉस के मूड को सँभालने के बारे में चिंतित होता था l 

हममें से कुछ एक लोगों के लिए, एक और नीरस कार्य-सप्ताह(workweek) को आरम्भ करना विशेष रूप से कठिन हो सकता है l हम अपने कार्य में अभिभूत या कम सराहनीय महसूस कर रहे हों l राजा सुलैमान कार्य के परिश्रम का वर्णन करता है जब उसने लिखा : “मनुष्य जो धरती पर मन लगा लगाकर परिश्रम करता है उससे उसको क्या  लाभ होता है? उसके सब दिन तो दुखों से भरे रहते हैं” (सभोपदेशक 2:22-23) l 

हालांकि उस बुद्धिमान राजा ने हमें कार्य को कम तनावपूर्ण या अधिक लाभकारी बनाने का सम्पूर्ण हल नहीं दिया, परन्तु उसने हमें हमारे दृष्टिकोण में बदलाव अवश्य दिया l चाहे हमारा कार्य कितना भी कठिन हो, वह हमें परमेश्वर की ओर  से (पद.24) प्राप्त करके उसमें “संतोष पाने” के लिए प्रोत्साहित करता हैं l शायद यह तब आएगा जब पवित्र आत्मा हमें मसीह के समान चरित्र प्रदर्शित करने में सक्षम बनाता है l या जब हम किसी ऐसे व्यक्ति से सुनते हैं जिसे हमारी सेवा के माध्यम से आशीष मिली है l या जैसा कि हम उस बुद्धिमत्ता को याद करते हैं जिसे परमेश्वर ने एक कठिन परिस्थति से निपटने के लिए प्रदान किया था l यद्यपि हमारा कार्य कठिन हो सकता है, हमारा विश्वासयोग्य परमेश्वर हमारे साथ है l उसकी उपस्थिति और सामर्थ्य उदास व् धुंधले दिनों को भी प्रकाशित कर सकती है l उसकी मदद से हम सोमवार के लिए शुक्रगुजार हो सकते हैं l