तीन दशकों के बाद, फेंग लुलु का अपने परिवार से मिलन हुआ l चीन में अपने घर के बाहर खेलते समय उसे बचपन में अपहृरण कर लिया गया था, लेकिन एक महिला समूह की मदद से, अंततः उसे ढूंढ लिया गया l इसलिए कि उसे बहुत ही बालपन (बचपन) में अपहृरण कर लिया गया था, फेंग लुलु को याद नहीं है l वह यह मानकर बड़ी हुयी कि उसे बेच दिया गया था क्योंकि उसके माता-पिता उस पर खर्च करने में असमर्थ थे, इसलिए सच्चाई जानने पर कई सवाल और भावनाएं सामने आयीं l 

जब युसूफ का अपने भाइयों से पुनःमिलन हुआ, तो यह संभव है कि उसने कुछ मुश्किल और उलझी हुई भावनाओं का अनुभव किया हो l उसके भाइयों ने उसे युवावस्था में मिस्र में गुलामी में बेच दिया था l कई पीड़ादायक घुमावदार मोड़ के बावजूद, परमेश्वर ने युसूफ को अधिकार के पद पर पहुँचाया l जब उसके भाई अकाल के समय अन्न खरीदने के लिए मिस्र आए, तो उन्होंने—अनजाने में—उसी से ही माँगा l 

युसूफ ने माना कि परमेश्वर ने उनके अत्याचार से भलाई उत्पन्न किया, यह कहते हुए कि उसने उसका उपयोग “तुम्हारे प्राणों [ को बचाने के लिए किया]” (उत्पत्ति 45:7) l इसके बाद भी युसूफ ने उसके प्रति उनके हानिकारक कार्यों को पुनः परिभाषित नहीं किया—उसने उन्हें स्पष्ट रूप से “[उसे] बेचने” (पद.5) का वर्णन किया l 

 कभी-कभी हम भावनात्मक संघर्ष को स्वीकार किए बिना, भलाइयों पर केन्द्रित होकर जो परमेश्वर उनसे उत्पन्न करता है उन कठिन परिस्थितियों पर अत्यधिक सकारात्मक घुमाव देने की कोशिश करते हैं l 

इस बात का ध्यान रखें कि किसी गलत को ऐसे ही अच्छा न कहें कि ईश्वर ने उससे भलाई उत्पन्न की थी: हम दर्द के गलत कारणों को पहचानते हुए भी उसमें से अच्छाई लाने के लिए उसकी तलाश कर सकते हैं l दोनों ही सत्य है l