निःसंतानता के एक दशक के बाद, 2011 में, मेरी पत्नी और मैंने एक नए देश में नए सिरे से शुरुआत करना चुना। जैसे वह जगह-बदलाव रोमांचक था, इसके लिए मुझे मेरा प्रसारण का करियर छोड़ना ज़रूरी था, जो मुझे याद आया। खोया हुआ महसूस करते हुए, मैंने अपने मित्र लियं से सलाह माँगा।
“मुझे नहीं पता कि मेरी बुलाहट अब क्या है,” मैंने लियं को विषादपूर्वक कहा। तुम यहाँ प्रसारण नहीं कर रहें? उसने पूछा। मैंने कहा कि मैं नहीं कर रहा था।
“और तुम्हारा वैवाहिक जीवन कैसा है?” उस विषय के बदलाव पर आश्चर्यचकित, मैंने लियं से कहा की मेर्र्यन और मैं अच्छे हैं। हमने एक साथ बड़े दुःख का सामना किया था पर इसके कारण से हम और करीब हो गए..“प्रतिबद्धता सुसमाचार का मूल है,” उसने मुस्कुराते हुए कहा, “ओह, दुनिया को तुम्हारे जैसे प्रतिबद्ध विवाहों को देखना चाहिए! हो सकता है तुम उस प्रभाव को महसूस न कर सको जो तुम्हारे द्वारा पहले ही से पड़ रहा है, इससे परे कि तुम क्या करते हो, बस तुम जो हो, उसके होने से,”
जब एक कठिन कार्य परिस्थिति ने तीमुथियुस को निराश कर दिया, प्रेरित पौलुस ने आजीविका के लक्ष्य नहीं दिए। बल्कि उसने तीमुथियुस को वचन, और चाल–चलन, और प्रेम, और विश्वास, और पवित्रता में आदर्श बनने और एक धर्मी जीवन, जीने को प्रोत्साहित किया, (4:12-13, 15)। वह विश्वासयोग्ता से जीने के द्वारा दूसरों को सर्वोत्तम रूप से प्रभावित करता।
अपने आजीविका की सफलता के आधार पर अपने जीवन को महत्व देना आसान है जबकि जो सबसे ज्यादा मायने रखता है वह हमारा चरित्र है। मैं यह भूल गया था। लेकिन एक सत्य वचन, एक दयालु कार्य, एक प्रतिबद्ध शादी भी बहुत बड़ा बदलाव ला सकते है—क्योंकि उसके द्वारा परमेश्वर की स्वयं की भलाई का कुछ दुनिया को छूता है।
आपके जीवन को किसने छुआ है और उनमें कौन से गुण थे? आज आप विश्वासयोग्ता का उद्धारण कैसे दिखा सकते है?
प्रिय प्रभु, मुझे यह याद करने में मदद करें की जो काम मैं करता हूँ उतना महत्वपूर्ण नहीं जितना जैसा व्यक्ति मैं बनता हूँ। कृपया मुझे आपकी तरह और बनाएं।