विद्वान केनेथ ई. बेली ने एक अफ़्रीकी राष्ट्र के नेता के बारे में बताया जिसने अन्तरराष्ट्रीय समुदाय में एक असामान्य स्थान बनाए रखना सीखा था l उसने इस्राएल और उसके आस-पास के राष्ट्रों दोनों के साथ एक अच्छा सम्बन्ध स्थापित किया था l जब किसी ने उनसे पूछा कि उनका देश इस नाजुक संतुलन को कैसे बनाए रखता है, तो उन्होंने उत्तर दिया, “हम अपने दोस्त चुनते हैं l हम अपने मित्रों को हमारे शत्रु [हमारे लिए] चुनने के लिए प्रोत्साहित नहीं करते हैं l”
यह बुद्धिमानी है—और सच में व्यवहारिक है l उस अफ़्रीकी देश ने जो एक अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर नमूना पेश किया, वही पौलुस ने अपने पाठकों को व्यक्तिगत स्तर पर करने के लिए प्रोत्साहित किया l मसीह द्वारा बदले गए जीवन की विशेषताओं के एक लम्बे विवरण के बीच में, उसने लिखा, “जहाँ तक हो सके, तुम भरसक सब मनुष्यों के साथ मेल मिलाप रखो” (रोमियों 12:18) वह हमें याद दिलाते हुए दूसरों के साथ हमारे व्यवहार के महत्व को सुदृढ़ करने के लिए आगे कहता है कि यहाँ तक कि जिस तरह से हम अपने शत्रुओं के साथ व्यवहार करते हैं (पद. 20-21) वह परमेश्वर और उसकी परम देखभाल में हमारे भरोसे और निर्भरता को दर्शाता है l
हर किसी के साथ शांति से रहना हमेशा संभव नहीं हो सकता (आखिरकार,पौलुस “भरसक” कहता है) लेकिन यीशु में विश्वासियों के रूप में हमारी जिम्मेदारी उसकी बुद्धि को हमारे जीवन का मार्गदर्शन करने की अनुमति देना है (याकूब 3:17-18) ताकि हम अपने आसपास के लोगों को शांतिदूतों के रूप में सम्मिलित
आप शांति से रहने के लिए कहाँ संघर्ष करते हैं? कैसे एक जानबूझकर/इच्छानुरूप शांतिदूत होना उस संघर्ष में अनुग्रह ला सकता है?
प्यारे पिता, मैं आपका शत्रु था और आपने मुझे मित्र कहा l मुझे एक शांतिदूत बनने में सक्षम करें ताकि मैं वही अनुग्रह दूसरों को दिखा सकूँ l