लाइफ मैगज़ीन के 12 जुलाई, 1968 के मुखपृष्ठ पर बियाफ्रा (नाइजीरिया में गृहयुद्ध के दौरान) के भूख से मर रहे बच्चों की भयानक तस्वीर प्रकाशित की गई थी। एक जवान लड़के ने परेशान होकर उस मैगज़ीन की एक प्रतिलिपि (कॉपी) पास्टर के पास ले जाकर पूछा, “क्या परमेश्वर को इस बारे में मालूम है?” उस पास्टर ने उत्तर दिया, “मैं जानता हूँ कि तुम इस बात को नहीं समझ सकते, परन्तु, हाँ, परमेश्वर को इस बारे में मालूम है।” इस पर वह लड़का यह कहते हुए बाहर चला गया कि उसे ऐसे परमेश्वर में कोई दिलचस्पी नहीं है।
ऐसे प्रश्न केवल बच्चों को ही नहीं बल्कि हम सभी को परेशान करते हैं। परमेश्वर के रहस्यमयी ज्ञान की पुष्टि के साथ-साथ, मैं इस बात की आशा करता हूँ कि काश उस लड़के ने उस महान गाथा के बारे में सुना होता जिसे परमेश्वर ने लिखना जारी रखा है यहाँ तक कि बियाफ्रा जैसे स्थानों में भी।
यीशु ने अपने उन अनुयायियों के लिए इस कहानी को प्रकट किया, जिन्होंने यह मान लिया था कि कठिनाई से वह उनकी रक्षा करेगा। इसके बजाय मसीह ने उनसे कहा कि “इस संसार में तुम्हें क्लेश होता है।” हालाँकि, यीशु ने जिस बात की पेशकश की, वह उसकी यह प्रतिज्ञा थी कि ये बुराइयाँ अंत नहीं हैं। वास्तव में, उसने पहले से ही “संसार को जीत लिया है” (यूहन्ना 16:33)। और परमेश्वर के अंतिम अध्याय में, हर एक अन्याय को मिटा दिया जाएगा, हर एक दुःख ठीक हो जाएगा।
उत्पत्ति से लेकर प्रकाशितवाक्य तक की पुस्तकें हर अकल्पनीय बुराई को नष्ट करने, हर गलत बात को सही करने की परमेश्वर की कहानी को याद दिलाती हैं। यह कहानी उस प्रेम करने वाले व्यक्ति को प्रस्तुत करती है जिसकी हममें अविवादित रुचि है। यीशु ने अपने चेलों से कहा कि “मैंने ये बातें तुम से इसलिए कही हैं, कि तुम्हें मुझ में शांति मिले” (पद 33)। सम्भव है कि आज के समय में भी हम उसकी शांति और उपस्थिति में विश्राम करें।
जिस कहानी को आप देख रहे हैं वह दुःखद कैसे लगती है? अच्छा अंत लिखने की यीशु की प्रतिज्ञा आपको कैसे स्वतंत्र करती है?
हे प्रिय परमेश्वर, मेरे लिए यह देखना कठिन है कि आप सभी बुराइयों को कैसे ठीक करेंगे। परन्तु मैं ऐसा करने के लिए आप पर भरोसा करता हूँ।