शायद मुझे एक दौड़ में ब्रायन से नहीं जुड़ना चाहिए था l मैं विदेश में था, और अज्ञान था कि हम कहाँ या कितनी दूर जाएंगे या इलाका कैसा होगा l साथ ही, वह एक तेज धावक था l क्या उसके साथ बने रहने की कोशिश में मेरा टखना तो नहीं मुड़ जाएगा? मुझे ब्रायन पर जो रास्ता जानता था भरोसा करना ही था l आरम्भ में, मैं बहुत चिंतित हो गया l पगडण्डी उबड़-खाबड़, असमतल भूमि पर घने जंगल से होकर गुजरती थी l शुक्र है कि ब्रायन मुझ पर नज़र रखता रहा और मुझे आगे के असमतल रास्ते के बारे में चेतावनी देता रहा l

शायद बाइबल के समय में कुछ लोगों ने अपरिचित क्षेत्र में प्रवेश करते समय ऐसा ही महसूस किया था—कनान में अब्राहम, जंगल में इस्राएली, और यीशु के चेले सुसमाचार सुनाने के अपने मिशन पर l उन्हें अंदाजा नहीं था कि यात्रा कैसी होगी, सिवाय इसके कि यह निश्चित ही कठिन होगी l लेकिन उनका नेतृत्व करने वाला आगे का रास्ता जानता था l उन्हें भरोसा करना था कि परमेश्वर उन्हें सामना करने की शक्ति देगा और उनकी देखभाल करेगा l वे उसका अनुसरण कर सकते थे क्योंकि वह जानता था कि आगे क्या है l

इस आश्वासन ने दाऊद को यह दिलासा दिया जब वह भाग रहा था l बड़ी अनिश्चितता के बावजूद, उसने परमेश्वर से कहा : “जब मेरी आत्मा मेरे भीतर से व्याकुल हो . . . तब तू मेरा पथ जानता [है]” (भजन संहिता 142:3) l जीवन में कई बार हम डरते हैं कि आगे क्या है l परन्तु हम यह जानते हैं कि हमारे संग चलने वाला हमारा परमेश्वर, मार्ग जानता है l