छोटे स्क्रीन पर प्रसारित होने वाली छवियों, विचारों और सूचनाओं के निरंतर विस्फोट से थक कर मैंने अपना फ़ोन नीचे रख दिया। फिर, मैंने उसे उठाया और फिर से चालू कर दिया। क्यों?
अपनी 2013 की पुस्तक द शैलोज़(The Shallows) में, निकोलस कार ने वर्णन किया है कि कैसे इंटरनेट ने मौनता/शांति के साथ हमारे रिश्ते को आकार दिया है : “नेट जो कर रहा है वह एकाग्रता और चिंतन की मेरी क्षमता को ख़त्म कर रहा है। चाहे मैं ऑनलाइन हूं या नहीं, मेरा दिमाग अब उसी तरह से जानकारी लेने की उम्मीद करता है जैसे नेट उसे वितरित करता है : कणों की तेजी से चलती धारा में। एक समय मैं शब्दों के समुद्र में स्कूबा गोताखोर(श्वासयंत्र के साथ गोता लगानेवाला) था। अब मैं जेट स्की(पानी पर चलने वाला एक छोटा स्वचालित वाहन) पर सवार व्यक्ति की तरह सतह पर तेजी से चलता हूं।”
मानसिक जेट स्की पर जीवन बिताना स्वस्थ नहीं लगता। लेकिन हम स्थिर आत्मिक जल में गहराई से गोता लगाने के लिए, धीमे कैसे हो सकते हैं?
भजन 131 में, दाऊद लिखता हैं, “मैंने अपने मन को शान्त और चुप कर दिया है” (पद.2) l दाऊद के शब्द मुझे याद दिलाते हैं कि मेरे पास जिम्मेदारी है। आदत बदलने की शुरुआत मेरे शांत रहने के चुनाव से होता है—भले ही मुझे वह चुनाव बार-बार करना पड़े। हालाँकि, धीरे-धीरे, हम परमेश्वर के संतुष्टिदायक भलाई का अनुभव करते हैं। एक छोटे बच्चे की तरह, हम संतोष में आराम करते हैं, यह याद रखते हुए कि वह ही अकेले आशा प्रदान करता है (पद.3)—आत्मिक संतुष्टि जिसे कोई स्मार्टफोन ऐप नहीं छू सकता है और कोई सोशल मीडिया साइट प्रदान नहीं कर सकता।
टेक्नोलॉजी/प्रोधोगिकी परमेश्वर के सामने चुपचाप शांति से आराम करने की आपकी क्षमता को कैसे प्रभावित करता है? क्या आपका फ़ोन आपकी संतुष्टि में योगदान देता है? क्यों या क्यों नहीं?
हे पिता, संसार व्याकुलता में डूबा हुआ है जिससे मेरी आत्मा संतुष्ट नहीं होती l मुझे वास्तविक संतुष्टि से भरने के लिए आप पर भरोसा करने में मेरी मदद करें।