एक डाकिया अपने एक ग्राहक के डाक को ढेर में देखकर चिंतित हो गया। डाक कर्मचारी जानता था कि बुजुर्ग महिला अकेली रहती थी और आमतौर पर हर दिन अपना डाक उठाती थी। एक बुद्धिमान निर्णय लेते हुए, कार्यकर्ता ने महिला के पड़ोसियों में से एक को अपनी चिंता बातयी । इस पड़ोसी ने दूसरे पड़ोसी को सचेत किया, जिसके पास उस महिला के घर का एक अतिरिक्त चाबी थी। वे एक साथ अपने दोस्त के घर में गए और उसे फर्श पर पड़ा हुआ पाया। वह चार दिन पहले गिर गई थी और न तो उठ सकी और न ही मदद के लिए पुकार सकी। डाक कर्मचारी की बुद्धिमत्ता, चिंता और कार्य करने के निर्णय से संभवतः उसकी जान बाख गयी ।
नीतिवचन कहता है, “और जो आत्माओं को जीत लेता है वह बुद्धिमान है” (11:30)। परमेश्वर की बुद्धि के अनुसार सही काम करने और जीने से जो विवेक आता है, वह न केवल हमें बल्कि उन लोगों को भी आशीर्वाद दे सकता है जिनसे हम मिलते हैं। उसका और उसके तरीकों का सम्मान करने वाले जीवन जीने का फल एक अच्छा और स्फूर्तिदायक जीवन उत्पन्न कर सकता है। और हमारा फल हमें दूसरों की देखभाल करने और उनकी भलाई का ध्यान रखने के लिए भी प्रेरित करता है।
जैसा कि नीतिवचन के लेखक ने पूरे पुस्तक में दावा किया है, बुद्धि परमेश्वर पर निर्भरता में पाई जाती है। बुद्धि “मुंगे से भी अच्छी है, और सारी मनभावनी वस्तुओं में कोई भी उसके तुल्य नहीं है” (8:11)। जो बुद्धि परमेश्वर प्रदान करता है वह जीवन भर हमारा मार्गदर्शन करती रहती है। यह अनंत काल के लिए किसी का जीवन बचा सकता है।
आज आप किसी की मदद करने के लिए बुद्धि का उपयोग कैसे कर सकते हैं? आप बुद्धि को कितना महत्व देते हैं?
स्वर्गीय पिता, कृपया मुझे आपके मार्ग और निर्देशों का पालन करने के लिए बुद्धि दें। जैसे आप मेरा मार्गदर्शन करते हैं दूसरों का ख़्याल रखने में मेरी मदद करें।