मध्य पूर्व के एक शरणार्थी शिविर में, जब रेजा को बाइबिल मिली, तो उसे यीशु के बारे में पता चला और वह उस पर विश्वास करने लगा। मसीह के नाम पर उनकी पहली प्रार्थना थी, “मुझे अपने कार्यकर्ता के रूप में उपयोग करें।” बाद में, शिविर छोड़ने के बाद, परमेश्वरने उस प्रार्थना का जवाब दिया जब उसे अचानकसे एक राहत एजेंसी में नौकरी मिल गई, और वह उन लोगों की सेवा करने के लिए शिविर में लौट आया जिन्हें वह जानता था और प्यार करता था। उन्होंने खेल-कूदक्लब, भाषा कक्षाएं और कानूनी परामर्शकी स्थापना की – “कुछ भी जो लोगों को आशा दे सकता है।” वह इन कार्यक्रमों को दूसरों की सेवा करने और परमेश्वरके ज्ञान और प्रेम को साझा करने के एक तरीके के रूप में देखता है।

अपनी बाइबिल पढ़ते समय, रेजा को उत्पत्ति से यूसुफ की कहानी के साथ तत्काल संबंध महसूस हुआ। उसने देखा कि जब वह जेल में था तब परमेश्वर ने अपने काम को आगे बढ़ाने के लिए यूसुफ का उपयोग कैसे किया। चूँकि परमेश्वर यूसुफ के साथ था, उसने उस पर दया की और उस पर अनुग्रह किया। जेल प्रबंधक ने यूसुफ को प्रभारी बना दिया और उसे वहां के मामलों पर ध्यान नहीं देना पड़ा क्योंकि परमेश्वर ने यूसुफ को “जो कुछ वह करता था, यहोवा उसको उस में सफलता देता था।” (उत्पत्ति 39:23)।

परमेश्वर भी हमारे साथ रहने का वादा करते हैं। चाहे हम कारावास (बन्धुआई)का सामना कर रहे हों – शाब्दिक या आलंकारिक – कठिनाई, विस्थापन(अपने स्थान से हटाने का कार्य) , दिल का दर्द, या दुःख, हम भरोसा कर सकते हैं कि वह हमें कभी नहीं छोड़ेगा। जिस तरह उसने रेजा को शिविर में लोगों की सेवा करने और यूसुफको जेल चलाने में सक्षम बनाया, वह हमेशा हमारे पास रहेगा।