अहंकार पहले आता है और अक्सर अपमान की ओर ले जाता है—कुछ ऐसा जो नॉर्वे के एक व्यक्ति को पता चला l यहाँ तक कि दौड़ने वाले कपड़े के बगैर भी, उस व्यक्ति ने अहंकारपूर्वक 400 मीटर बाधा दौड़ में विश्व रिकॉर्ड धारक कस्टर्न वारहोम, को दौड़ में चुनौती दी l वारहोम, एक इनडोर सार्वजनिक सुविधा/facility में प्रशिक्षण लेते हुए, चुनौती देने वाले से आगे निकल गए l समापन रेखा पर, दो बार का विश्व चैंपियन मुस्कुराया जब उस व्यक्ति ने ज़ोर देकर कहा कि उसका आरम्भ ख़राब रहा है और वह फिर से दौड़ लगाना चाहता है!
नीतिवचन 29:23 में हम पढ़ते हैं, “मनुष्य को गर्व के कारण नीचा देखना पड़ता है, परन्तु नम्र आत्मावाला महिमा का अधिकारी होता है l अभिमानियों के साथ परमेश्वर का व्यवहार इस पुस्तक में सुलैमान के पसंदीदा विषयों में से एक है (1:2; 16:18; 18:12) l इन पदों में अभिमान या अहंकार शब्द का अर्थ है “सूजन” या “फूला हुआ”—जो उचित रूप से ईश्वर का है उसका श्रेय लेना l जब हम अहंकार से भर जाते हैं, तो हम अपने बारे में जरुरत से ज्यादा सोचते हैं l यीशु ने एक बार कहा था, “जो कोई अपने आप को बड़ा बनाएगा, वह छोटा किया जाएगा : और जो कोई अपने आपको छोटा बनाएगा, वह बड़ा किया जाएगा” (मत्ती 23:12) l वह और सुलेमान दोनों हमें नम्रता और दीनता का अनुसरण करने के लिए निर्देशित करते हैं l यह झूठी विनम्रता नहीं है, बल्कि स्वयं को अधिकार देना और यह स्वीकार करना है कि हमारे पास जो कुछ भी है वह ईश्वर से आया है l यह बुद्धिमानी है और अहंकारपूर्वक “बातें करने में उतावली” नहीं करना है (नीतिवचन 29:) l
आइए परमेश्वर से प्रार्थना करें कि वह हमें खुद को विनम्र बनाकर उसका सम्मान करने और अपमान से बचने के लिए हृदय और बुद्धि दे l
आपने कब ऐसी नम्रता का अनुभव किया है जिससे सम्मान प्राप्त हुआ हो? आप परमेश्वर के सामने स्वयं को कैसे विनम्र कर सकते हैं?
प्रिय परमेश्वर, मुझे स्मरण दिलाएँ कि विनम्रता आपकी दृष्टि में सम्मान का मार्ग है l