भारत इतिहास से भरा पड़ा है l आप जहाँ भी जाते हैं, आप ऐतिहासिक शख्सियतों का सम्मान करने वाले स्मारक या उन स्मारक स्थलों को देखते हैं जहाँ महत्वपूर्ण घटनाएं घटी थीं l लेकिन इंग्लैंड के एक होटल में एक मजेदार सन्देश प्रदर्शित किया गया है l होटल के बाहर एक पुरानी पट्टिका पर एक सन्देश लिखा है, “इस स्थान पर, 5 सितम्बर, 1782 को, कुछ भी नहीं हुआ l” 

कई बार हमें ऐसा लगता है कि हमारी प्रार्थनाओं को लेकर कुछ हो ही नहीं रहा है l हम प्रार्थना करते हैं और प्रार्थना करते हैं, अपनी याचिकाएं अपने पिता के पास इस उम्मीद से लाते हैं कि वह अभी जबाब देंगे l भजनकार दाऊद ने ऐसी निराशा व्यक्त की जब उसने प्रार्थना की, “हे परमेश्वर, कब तक! क्या तू सदैव मुझे भूला रहेगा? तू कब तक अपना मुखड़ा मुझसे छिपाए रहेगा? (भजन 13:1) l हम उन विचारों को सरलता से दोहरा सकते हैं : हे प्रभु, आपके उत्तर देने में कितना समय लगेगा?

हालाँकि, हमारा परमेश्वर न केवल अपनी बुद्धि में बल्कि समय में भी परिपूर्ण है l दाऊद यह कहने में समर्थ हुआ, “मैंने तो तेरी करुणा पर भरोसा रखा है; मेरा हृदय तेरे उद्धार से मगन होगा” (पद.5) l सभोपदेशक 3:11 हमें याद दिलाता है, “[परमेश्वर ने] सब कुछ ऐसा बनाया कि अपने अपने समय पर वे सुन्दर होते हैं” सुन्दर शब्द का अर्थ है “उपयुक्त” या “प्रसन्नता का श्रोत l” परमेश्वर हमेशा हमारी प्रार्थनाओं का प्रत्युत्तर हमारी इच्छा अनुकूल नहीं देता, लेकिन वह हमेशा अपने बुद्धिमान उद्देश्यों को पूरा कर रहा है l हम इस बात पर विश्वास कर सकते हैं कि जब वह उत्तर देगा, तो वह सही, अच्छा और सुन्दर होगा l