राजशाही के जूते पहनकर चलना कैसा होगा? बंदरगाह में कार्य करने वाली और नर्स की बेटी, एंजेला केली, जानती है l वह सम्राट के जीवन के अंतिम दो दशकों तक दिवंगत महारानी एलिज़ाबेथ की आधिकारिक ड्रेसर/सहायक भी थीं l उसकी जिम्मेदारियों में से एक उम्रदराज़ रानी के नए जूतों को पहनकर महल के मैदान में घूमना था l इसका एक कारण था : एक बुज़ुर्ग महिला के प्रति करुणा, जिसे कभी-कभी समारोहों में लम्बे समय तक खड़ा रहना पड़ता था l क्योंकि दोनों एक ही नाप के जूते पहनते थे, केली अपनी कुछ असुविधा से बचने में सफल रही l 

महारानी एलिज़ाबेथ की देखभाल में केली का व्यक्तिगत स्पर्श मुझे कुलुस्से(आधुनिक तुर्की का एक क्षेत्र) में चर्च के लिए पौलुस के गर्मजोशी भरे प्रोत्साहन के बारे में सोचने को विवश करता है : “बड़ी करुणा, और भलाई और दीनता, और नम्रता, और सहनशीलता धारण करो” (कुलुस्सियों 3:12) l जब हमारा जीवन यीशु पर “दृढ़/निर्मित” होता है (2:7), तो हम “परमेश्वर के चुने हुओं के समान . . . पवित्र और प्रिय” बन जाते हैं (3:12) l वह हमें हमारे “पुराने व्यक्तित्व” को उतारने और “नए व्यक्तित्व को [पहिनने]” में मदद करता है (पद.9-10)—उन लोगों की पहचान को जीने में जो दूसरों से प्यार करते हैं और माफ़ कर दिए हैं क्योंकि ईश्वर ने हमसे प्यार किया है हमें माफ़ कर दिया है (पद.13-14) l 

हमारे चारों ओर वे लोग हैं जिन्हें जीवन की दिन-प्रतिदिन की चुनौतियों में “उनके स्थान पर चलने” और उनके प्रति दया दिखाने की ज़रूरत है l जब हम ऐसा करते हैं, तो हम एक राजा—यीशु—के जूते(या सैंडल) पहनकर चलते हैं—जो हमेशा हमारे लिए दया रखता है l