एवरीथिंग सैड इज़ अनट्रू(Everything Sad Is Untrue) में, डैनिएल नेयरी ने अपनी माँ और बहन के साथ संयुक्त राज्य अमेरिका में एक शरणार्थी शिविर के द्वारा उत्पीड़न से सुरक्षा तक की अपनी कष्टदायक उड़ान का वर्णन किया है l एक बुजुर्ग दम्पति उनके आर्थिक संरक्षक बनने के लिए सहमत हो गए, हालाँकि वे उन्हें नहीं जानते थे l वर्षों बाद भी, डैनिएल अभी भी इससे उबर नहीं पाया है l वे लिखते हैं, “क्या आप इस पर विश्वास कर सकते हैं? पूरी तरह से दृष्टिहीन होकर, उन्होंने ऐसा किया l वे हमसे कभी मिले भी नहीं l और अगर हम ईमानदार नहीं निकले, तो उन्हें इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी l वह तो लगभग उतना ही बहादुर, दयालु और लापरवाह है जितना मैंने किसी भी व्यक्ति के बारे में सोच सकता हूँ l”
फिर भी ईश्वर चाहता है कि हम दूसरों के प्रति उस स्तर की चिंता रखें l उन्होंने इस्राएल से कहा कि वह विदेशियों के प्रति दयालु रहे l “उससे अपने ही समान प्रेम रखना; क्योंकि तुम भी मिस्र देश में परदेशी थे” (लैव्यव्यवस्था 19:34) l वह यीशु में विश्वास करने वाले गैर-यहूदी विश्वासियों को याद दिलाता है—अर्थात हम में से कई लोग—कि एक बार हम “मसीह से अलग” थे . . . प्रतिज्ञा की वाचाओं के भागी न थे, और आशाहीन और जगत में ईश्वररहित थे” (इफिसियों 2:12) l इसलिए वह हम सभी पूर्व विदेशियों, चाहे यहूदी हो या गैरयहूदी, को आदेश देता है कि हम “अतिथि-सत्कार करना न [भूलें]” (इब्रानियों 13:2) l
अब अपने स्वयं के परिवार के साथ बड़े होकर, डैनिएल जिम और जीन डॉसन की प्रशंसा करते हैं, “जो इतने मसीही थे कि उन्होंने शरणार्थियों के एक परिवार को अपने साथ तब तक रहने दिया जब तक कि उन्हें घर नहीं मिल गया l”
ईश्वर अजनबी का स्वागत करता है और हमसे भी उनका स्वागत करने का आग्रह करता है l
आपके संसार में बाहरी व्यक्ति कौन है? आप कैसे उन तक पहुँच सकते हैं और अपने स्थान पर उनका स्वागत कर सकते हैं?
हे यीशु, मुझे वह अजनबी दिखाइए जो आप चाहते हैं कि मैं उससे प्रेम करूँ l