सैल के दिमाग में बुरी यादें और आरोप लगाने वाले सन्देश भर गए l नींद उससे दूर थी क्योंकि उसके हृदय में डर भर गया था और उसकी त्वचा पर पसीना आ गया था l यह उसके बप्तिस्में से पहले की रात थी, और वह दुष्ट विचारों के आक्रमण को रोक नहीं सका l सैल को यीशु से मुक्ति मिल गयी थी और वह जानता था कि उसके पाप माफ़ कर दिए गए हैं, लेकिन आत्मिक लड़ाई जारी रही l तभी उसकी पत्नी ने उसका हाथ थाम लिया और उसके लिए प्रार्थना की l कुछ क्षण बाद, सैल के दिल में डर की जगह शांति ने ले ली l वह उठा और उसने वे शब्द लिखे जो वह बप्तिस्मा लेने से पहले साझा करेगा—कुछ ऐसा जो वह करने में सक्षम नहीं था l इसके बाद उसे मीठी नींद का अनुभव हुआ l
राजा दाऊद भी जानता था कि एक बेचैन रात कैसी महसूस होती है l अपने बेटे अबशालोम से भागना जो उसका सिंहासन चुराना चाहता था (2 शमुएल 15-17), वह जानता था कि “दस हज़ार मनुष्य . . . [उसके] विरुद्ध चारों ओर पांति बांधे खड़े” थे (भजन 3:6) l दाऊद ने विलाप करते हुए कहा, “मेरे सतानेवाले . . . बहुत हैं” (पद.1) l हालाँकि डर औए संदेह पर जीत हासिल की जा सकती थी, फिर भी उसने अपने “ढाल” यानि परमेश्वर को पुकारा (पद.3) l बाद में, उसने पाया कि वह “लेट सकता है और सो सकता है . . . क्योंकि यहोवा [उसे] संभालता है” (पद.5) l
जब भय और संघर्ष हमारे मन को जकड़ लेते हैं और आराम की जगह बेचैनी ले लेती है, तो ईश्वर से प्रार्थना करने पर आशा मिलती है l हालाँकि हमें सैल और दाऊद की तरह तत्काल मीठी नींद का अनुभव नहीं हो सकता है, “शांति से [हम] लेट सकते हैं और . . .निश्चित [रह सकते हैं]”(4:8) l क्योंकि परमेश्वर हमारे साथ है और वह हमारा विश्राम होगा l
कौन सी बातें आपके दिल और दिमाग पर भारी पड़ रही हैं? प्रार्थना के द्वारा उन्हें वास्तव में परमेश्वर को समर्पित करने का आपके लिए क्या अर्थ होगा?
प्रिय, परमेश्वर, आशा और शक्ति प्रदान करने के लिए आपको धन्यवाद, क्योंकि मैं अपनी प्रार्थनाएँ आपसे करता हूँ l