एक सदी पहले इथियोपिया के लगभग 40 प्रतिशत हिस्से में हरे-भरे जंगल थे, लेकिन आज यह लगभग 4 प्रतिशत रह गया है। फसलों के लिए रकबा साफ़ रहते हुए पेड़ों की रक्षा करने में विफल होने से  पारिस्थितिक संकट पैदा हो गया। हरे रंग के शेष छोटे-छोटे हिस्सों का अधिकांश हिस्सा चर्चों द्वारा संरक्षित है। सदियों से, स्थानीय इथियोपियाई रूढ़िवादी तेवाहिडो चर्चों ने बंजर जंगल के बीच में इन मरूद्यानों का पोषण किया है। यदि आप इसकी हवाई छविये देखें, तो आपको भूरे रेत से घिरे हरे-भरे द्वीप दिखाई देंगे। चर्च के अगुवे इस बात पर जोर देते हैं कि पेड़ों की देखभाल करना परमेश्वर की रचना के प्रबंधक के रूप में उनकी आज्ञाकारिता का हिस्सा है।

भविष्यवक्ता यशायाह ने इस्राएल को लिखा, जो एक मरू भूमि में रहते थे जहां नंगे रेगिस्तान और क्रूर सूखे का खतरा था। और यशायाह ने भविष्य की परमेश्वर की योजना का वर्णन किया, जहां “जंगल और सूखी भूमि आनन्दित होगी; जंगल आनन्दित और फूलेगा”(यशायाह 35:1)। परमेश्वर की यह मंशा है कि वह अपने लोगों को चंगा करे, लेकिन वह पृथ्वी को भी चंगा करना चाहता है। वह “नए आकाश और नई पृथ्वी का सृजन करेगा” (65:17)। परमेश्वर की नवीकृत दुनिया में, “रेगिस्तान फूलों से खिल उठेगा” (35:2 NIRV)।

सृष्टि के प्रति ईश्वर की देखभाल – जिसमें लोग भी शामिल हैं – हमें भी इसकी देखभाल करने के लिए प्रेरित करती है। हम उसकी परम योजना के साथ तालमेल बिठाकर जी सकते हैं जो की एक चंगा और निरोग संसार है – उसकी सृष्टि के रखवाले बनकर। हम सभी प्रकार के रेगिस्तानों को जीवन और सुंदरता से भरपूर बनाने में परमेश्वर के साथ शामिल हो सकते हैं।