“पिताजी, क्या मैं अपनी सहेली के संग रात बिता सकती हूँ?” मेरी बेटी ने अभ्यास के बाद कार में बैठते हुए पुछा l “प्रिय, तुम्हें उत्तर मालूम है,” मैंने कहा l “मैं केवल ड्राईवर हूँ l मुझे नहीं पता क्या हो रहा है l चलो माँ से बात करते हैं l”

“मैं केवल ड्राईवर हूँ” हमारे घर में एक मजाक बन गया है l प्रतिदिन, मैं अपनी व्यवस्थित पत्नी से पूछता हूँ कि मुझे कहाँ, कब रहना है और मैं किसे कहाँ ले जा रहा हूँ l तीन किशोरों के साथ, एक “टैक्सी ड्राईवर” के रूप में मेरा अतिरिक्त कार्य कभी-कभी दूसरी नौकरी की तरह महसूस होती है l अक्सर, मैं वह नहीं जानता जो मैं नहीं जानता l इसलिए, मुझे कैलेंडर में रिकॉर्ड रखने वाले से जांच करनी होगी l 

मत्ती 8 में, यीशु का सामना एक ऐसे व्यक्ति से हुआ जो निर्देश लेने और देने के बारे में भी कुछ जानता था l इस आदमी, रोमी सूबेदार, ने समझा कि यीशु के पास चंगा करने का अधिकार था, जैसे सूबेदार के पास उसके अधीन लोगों को आदेश जारी करने का अधिकार था l “केवल मुख से कह दे और मेरा सेवक चंगा हो जाएगा l क्योंकि मैं भी पराधीन मनुष्य हूँ, और सिपाही मेरे अधीन हैं” (पद.8-9) l मसीह ने उस व्यक्ति के विश्वास की सराहना की (पद.10,13), यह जानकार आश्चर्यचकित हुआ कि वह समझ गया कि उसका अधिकार कार्य में कैसा दिखता है l 

तो हमारा क्या? यीशु से मिलने वाले दैनिक कार्यों के लिए उस पर भरोसा करना कैसा लगता है? क्योंकि भले ही हम सोचते हैं कि हम “सिर्फ चालक” हैं, प्रत्येक कार्य का एक अलग अर्थ और उद्देश्य होता है l