कैरल को समझ नहीं आ रहा था कि यह सब एक साथ क्यों हो रहा है l जैसे कि काम इतना भी बुरा नहीं था, उसकी बेटी का स्कूल में पैर फ्रैक्चर हो गया, और वह खुद गंभीर संक्रमण की चपेट में आ गयी l मैंने इस लायक ऐसा क्या किया? कैरल को आश्चर्य हुआ l वह बस ईश्वर से सामर्थ्य मांग सकती थी l
अय्यूब को यह भी नहीं पता था कि उस पर विपत्ति इतनी अधिक क्यों आई थी—कैरल ने जो अनुभव किया था उससे कहीं अधिक दर्द और हानि l ऐसा कोई संकेत नहीं है कि वह अपनी आत्मा के लिए लौकिक संघर्ष से अवगत था l शैतान अय्यूब के विश्वास की आजमाइश करना चाहता था, यह दावा करते हुए कि यदि उसने सब कुछ खो दिया तो वह परमेश्वर से विमुख हो जाएगा (अय्यूब 1:6-12) l जब आपदा आई, तो अय्यूब के दोस्तों ने जोर देकर कहा कि उसे उसके पापों के लिए दण्डित किया जा रहा है l ऐसा इसलिए नहीं था, लेकिन उसने सोचा होगा, मैं ही क्यों? वह नहीं जानता था कि ईश्वर ने ऐसा होने दिया था l
अय्यूब की कहानी पीड़ा और विश्वास के बारे में एक शक्तिशाली सबक प्रदान करती है l हम अपने दर्द के पीछे का कारण जानने का प्रयास कर सकते हैं, लेकिन संभवतः पर्दे के पीछे एक बड़ी कहानी है जिसे हम अपने जीवनकाल में नहीं समझ पाएंगे l
अय्यूब की तरह, हम जो जानते हैं उस पर कायम रह सकते हैं : सब कुछ परमेश्वर के पूर्ण नियंत्रण में है l यह कहना सरल बात नहीं है, लेकिन अपने दर्द के बीच में, अय्यूब परमेश्वर की ओर देखता रहा और उसकी संप्रभुता पर भरोसा करता रहा : “यहोवा ने दिया और यहोवा ही ने लिया; यहोवा का नाम धन्य है” (पद.21) l हम भी परमेश्वर पर भरोसा रखें, चाहे कुछ भी हो जाए—और तब भी जब हम नहीं समझते हैं l
आप किन चुनौतियों का सामना कर रहे हैं? परमेश्वर के कौन से वादे आपको चलते रहने की शक्ति देते हैं?
प्रिय पिता, मुझे समझ नहीं आता कि जीवन की कुछ चुनौतियां मेरे पास क्यों आती हैं l लेकिन मैं आप पर भरोसा करना चुनता हूँ l