खूबसूरत दुल्हन, अपने स्वाभिमानी पिता की बाँह पकड़कर, वेदी की ओर जाने के लिए तैयार थी l लेकिन उसके तेरह महीने के भतीजे के प्रवेश से पहले नहीं l अधिक सामान्य “अंगूठी” ले जाने के बजाय—वह “बाइबल वाहक” था l इस तरह, दूल्हा और दुल्हन, यीशु में वचनबद्ध विश्वासियों के रूप में, पवित्रशास्त्र के प्रति अपने प्रेम की गवाही देना चाहते थे l न्यूनतम मनबहलाव के साथ, बच्चे ने चर्च के सामने अपना रास्ता खोज लिया l यह कितना दृष्टान्त रूप था कि बाइबल के चमड़े के कवर पर बच्चे के दाँतों के निशान पाए गए l गतिविधि की यह कैसी तस्वीर है जो मसीह में विश्वास करने वालों या उसे जानने की इच्छा रखने वालों के लिए उप्युक्त है—पवित्रशास्त्र का स्वाद चखने और ग्रहण करने के लिए l 

भजन 119 पवित्रशास्त्र के व्यापक महत्व का जश्न मनाता है l ईश्वर के नियम(पद.1) के अनुसार जीने वालों के परम सुख की घोषणा करने के बाद लेखक ने काव्यात्मक ढंग से इसके प्रति अपने प्रेम सहित, इसके बारे में प्रशंसा की l “देख, मैं तेरे नियमों से कैसी प्रीति रखता हूँ”(पद.159); “झूठ से तो मैं बैर और घृणा रखता हूँ, परन्तु तेरी व्यवस्था से प्रीति रखता हूँ”(पद.163); “मैं तेरी चितौनियों को जी से मानता हूँ, और उनसे बहुत प्रीति रखता आया हूँ” (पद.167) l 

हम अपने जीवन के द्वारा ईश्वर और उसके वचन के प्रति अपने प्रेम के बारे में क्या बयान देते हैं? उसके प्रति हमारे प्रेम को परखने का एक तरिका यह पूछना है, मैं किस में भाग ले रहा हूँ? क्या मैं पवित्रशास्त्र के मीठे शब्दों को “चबा रहा” हूँ? और फिर इस निमंत्रण को स्वीकार करें, “परखकर(चखकर) देखो कि यहोवा कैसा भला है” (34:8) l