एक प्रसिद्ध खिलाड़ी/athlete ने ऐसे मंच पर कदम रखा जो कोई खेल स्टेडियम नहीं था l उसने जेल सुविधा में तीन सौ कैदियों से बात की और उन्हें यशायाह के शब्दों को साझा किया l 

हालाँकि, यह क्षण किसी प्रसिद्ध खिलाड़ी के तमाशे के बारे में नहीं था, बल्कि टूटी हुयी और आहात आत्माओं के समुद्र के बारे में था l इस विशेष समय में, परमेश्वर सलाखों के पीछे दिखायी हुए l एक पर्यवेक्षक ने ट्वीट/tweet किया कि “छोटे चर्च/chapel में आराधना और प्रशंसा का दौर आरम्भ हो गया l” पुरुष एक साथ रो रहे थे और प्रार्थना कर रहे थे l अंत में, लगभग सत्ताईस कैदियों ने मसीह को अपना जीवन दिया l 

एक तरह से, हम सभी अपनी ही बनायी जेलों में हैं, अपने लालच, स्वार्थ और लत की सलाखों के पीछे फंसे हुए हैं l लेकिन आश्चर्यजनक रूप से, ईश्वर प्रकट होता है l उस सुबह जेल में मुख्य पद था, “देखो, मैं एक नयी बात करता हूँ; वह अभी प्रगट होगी, क्या तुम उससे अनजान रहोगे?” (यशायाह 43:19) l यह अनुच्छेद हमें “बीती हुयी घटनाओं का स्मरण [नहीं करने] के लिए प्रोत्साहित करता है (पद.18) क्योंकि ईश्वर कहता है, “मैं वही हूँ जो . . . तेरे पापों को स्मरण न करूँगा” (पद.25) l 

फिर भी परमेश्वर यह स्पष्ट करता है : “मैं ही यहोवा हूँ और मुझे छोड़ कोई उद्धारकर्ता नहीं” (पद.11) l केवल मसीह को अपने जीवन देखर ही हम स्वतंत्र हुए हैं l हममें से कुछ को ऐसा करने की जरूरत है; हममें से कुछ लोगों ने ऐसा किया है, लेकिन हमें यह याद दिलाने की जरुरत है कि वास्तव में हमारे जीवन का ईश्वर कौन है l हमें निश्चय दिया गया है कि, मसीह के द्वारा, परमेश्वर वास्तव में “एक नया काम” करेगा l तो आइये देखें क्या होता है!