उन्हें उस सैन्यकर्मी के रूप में जाना जाता है, जो प्रतिदिन अपने कार्य की जिम्मेदारी लेते हैं और इसके लिए किसी और को दोषी नहीं ठहराते हैं, के विषय उनके आरंभिक भाषण को ऑनलाइन 100 मिलियन(10 करोड़) बार देखा गया l लेकिन सेवानिवृत नेवी सील एडमिरल(अधिकारी) विलियम मैकरैवेन एक और सबक भी उतना ही दिलचस्प बताते हैं l मध्य पूर्व में एक सैन्य अभियान के दौरान, मैकरैवेन ने दुखद रूप से स्वीकार किया कि एक निर्दोष परिवार के कई सदस्य गलती से मारे गए थे l यह मानते हुए कि परिवार से ईमानदाऋ से माफ़ी मांगनी चाहिए, मैकरैवेन ने दुखी पिता से माफ़ी मांगने का साहस किया l 

“मैं एक सैनिक हूँ,” मैकरैवेन ने एक अनुवादक के द्वारा उससे कहा l “लेकिन मेरे भी बच्चे है, और मेरा दिल तुम्हारे लिए दुखी है l” उस मनुष्य की प्रतिक्रिया? उन्होंने मैकरैवेन को क्षमा का उदार उपहार दिया l जैसे कि उस आदमीं के जीवित बेटे ने उससे कहा, “बहुत-बहुत धन्यवाद l हम आपके खिलाफ अपने दिल में कुछ भी नहीं रखेंगे l” 

प्रेरित पौलुस ने ऐसे उदार अनुग्रह के बारे में लिखा : “परमेश्वर के चुने हुओं के समान जो पवित्र और प्रिय हैं, बड़ी करुणा, और भलाई, और दीनता, और नम्रता, और सहनशीलता धारण करो” (कुलुस्सियों 3:12) l वह जानता था कि जीवन विभिन्न तरीकों से हमारी परीक्षा लेगा, इसलिए उसने कुलुस्से के चर्च में विश्वासियों को निर्देश दिया : “यदि किसी को किसी पर दोष देने का कोई कारण हो, तो एक दूसरे की सह लो और एक दूसरे के अपराध क्षमा करो; जैसे प्रभु ने तुम्हारे अपराध क्षमा किये, वैसे ही तुम भी करो” (पद.13) l 

क्या चीज़ हमें ऐसा दयालु, क्षमाशील हृदय रखने में सक्षम बनाती है? परमेश्वर का उदार प्रेम l जैसा कि पौलुस ने निष्कर्ष निकाला, “इस सब के ऊपर प्रेम को जो सिद्धता का कटिबंध है बाँध लो” (पद.14) l