“मैंने यह नहीं किया!” यह एक झूठ था, और मैं इससे लगभग बच ही गया था, जब तक कि परमेश्वर ने मुझे नहीं रोका l जब मैं माध्यमिक स्कूल(middle school) में था, मैं एक प्रदर्शन के दौरान हमारे बैंड के पीछे स्पिटबॉल शूट(spitball shoot) करने वाले समूह का हिस्सा था l हमारे निदेशक एक पूर्व नौसैनिक थे और अनुशासन के लिए प्रसिद्ध थे, और मैं उनसे डरता था l इसलिए जब अपराध में मेरे साझेदारों ने मुझे फंसाया, तो मैंने इस बारे में उससे झुझ बोला l फिर मैंने अपने पिता से भी झूठ बोला l
लेकिन ईश्वर झूठ को चलने नहीं देने वाला था l उसने मुझे इसके बारे में बहुत ही दोषी विवेक दिया l कई सप्ताहों तक विरोध करने के बाद, मैं मान गया l मैंने ईश्वर और अपने पिता से क्षमा मांगी l थोड़ी देर बाद, मैं अपने निदेशक के घर गया और रोते हुए स्वीकार किया l शुक्र है, वह दयालु और क्षमाशील था l
मैं कभी नहीं भूलूंगा कि उस बोझ का हटाया जाना कितना अच्छा लगा l मैं कई सप्ताहों में पहली बार अपराधबोध के बोझ से मुक्त और आनंदित था l दाऊद अपने जीवन में भी दृढ़ विश्वास और स्वीकारोक्ति के समय का वर्णन करता है l वह परमेश्वर से कहता है, “जब मैं चुप रहा तब दिन भर कराहते कराहते मेरी हड्डियाँ पिघल गयीं l क्योंकि रात दिन मैं तेरे हाथ के नीचे दबा रहा l” वह आगे कहता है, “मैंने अपना पाप तुझ पर प्रगट किया” (भजन संहिता 32:3-5) l
परमेश्वर के लिए सत्यता माने रखती है l वह चाहता है कि हम उसके सामने अपने पापों को स्वीकार करें और उन लोगों के लिए क्षमा भी मांगे जिनके साथ हमने अन्याय किया है l दाऊद घोषणा करता है, “तू ने मेरे अधर्म और पाप को क्षमा कर दिया [है]” (पद.5) l परमेश्वर की क्षमा की स्वतंत्रता को जानना कितना अच्छा है!
परमेश्वर के प्रति प्रामाणिक होने से आपको किस प्रकार सहायता मिली है? यीशु की क्षमा ने आपका बोझ कैसे हल्का कर दिया है और आपका जीवन कैसे बदल दिया है?
प्यारे पिता, जब मैं अपने पापों को आपके सामने स्वीकार करता हूँ, तो क्षमा करने के लिए धन्यवाद l कृपया मुझे हमेशा आपके साथ सत्य बने रहने में मदद करें l