जब एक कम स्थापित स्कूल की क्रिकेट टीम क्रिकेट टीम क्रिकेट जोनल टूर्नामेंट(zonal tournament) के लिए मैदान में उतरी, तो स्टैंड में मौजूद प्रशंसकों ने कमजोर टीम के लिए उत्साह बढ़ाया l इस टीम से पहले दौर से आगे बढ़ने की उम्मीद नहीं थी, लेकिन उन्होंने ऐसा किया l और अब उन्होंने स्टैंड से अपने स्कूल के गाने की आवाज़ सुनी जो उन्हें उत्साहित कर रही थी, हालाँकि उनके साथ कोई बैंड नहीं था l उनके प्रतिद्वंद्वी स्कूल बैंड ने हालाँकि जीत का पक्ष लिया था, लेकिन खेल से कुछ मिनट पहले उन्होंने अपने प्रतिद्वंद्वी का स्कूल गाना सीख लिया था l बैंड केवल वे गाने बजा सकता था, जिन्हें वे जानते थे, लेकिन उन्होंने दूसरे स्कूल और दूसरी टीम की सहायता करने के लिए गाना सीखने का फैसला किया l
इस बैंड की गतिविधियों को फिलिप्पियों में वर्णित एकता के प्रतीक के रूप में देखा जा सकता है l पौलुस ने फिलिप्पी के आरंभिक चर्च को—और आज हमें—एकता में रहने, या “एक मन” (फिलिप्पियों 2:2) रहने के लिए कहा, खासकर इसलिए क्योंकि वे मसीह में एकजुट थे l ऐसा करने के लिए, प्रेरित ने उन्हें स्वार्थी महत्वाकांक्षा छोड़ने और अपने हितों से पहले दूसरों के हितों पर विचार करने के लिए प्रोत्साहित किया l
दूसरों को अपने से ऊपर महत्व देना स्वाभाविक रूप से नहीं आ सकता है l पौलुस ने लिखा, “विरोध या झूठी बड़ाई के लिए कुछ न करो, पर दीनता से एक दूसरे को अपने से अच्छा समझो”(पद.3) l “हर एक अपने ही हित की नहीं, वरंन् दूसरों के हित कि भी चिंता करें”(पद.4) l
हम दूसरों का समर्थन कैसे कर सकते हैं? उनकी रुचियों पर ध्यानपूर्वक विचार करके, चाहे उनके युद्ध गीत सीख करके या उन्हें जो कुछ भी आवश्यकता हो उस प्रदान करके l
आज आप किसके हितों का ध्यान रख सकते हैं? दूसरों की परवाह करने से एकता को कैसे बढ़ावा मिलता है?
विनम्र उद्धारकर्ता, कृपया मुझे ऐसे तरीके दिखाएँ जिनसे मैं दूसरों के हितों को ध्यान में रखते हुए उनकी मदद कर सकूँ l