जब स्कूल के शीर्ष छात्रों को शैक्षिक उपलब्धि के लिए श्रेष्ठता प्रमाण पत्र प्राप्त हुआ तो तालियाँ गूंज उठीं l लेकिन कार्यक्रम समाप्त नहीं हुआ था l अगले पुरस्कार में उन छात्रों को सम्मानित किया गया जो स्कूल के “सर्वश्रेष्ठ” नहीं थे, बल्कि उनमें सबसे अधिक सुधार हुआ था l उन्होंने असफल ग्रेड बढ़ाने, विघटनकारी व्यवहार को सुधारने, या बेहतर उपस्थिति के लिए प्रतिबद्ध होने के लिए कड़ी मेहनत की थी l उनके माता-पिता मुस्कराए और तालियाँ बजायीं, यह स्वीकार करते हुए कि उनके बच्चे उच्च पथ की ओर बढ़ रहे हैं—अपनी पिछली कमियों पर नहीं बल्कि एक नए रास्ते पर चल रहे हैं l 

हृदय को छू लेने वाला दृश्य इस बात की एक छोटी सी तस्वीर पेश करता है कि हमारे स्वर्गिक पिता हमें कैसे देखते हैं—हमारे पुराने जीवन में नहीं बल्कि अब, मसीह में, अपने बच्चों के रूप में l यूहन्ना ने लिखा, “परन्तु जितनों ने उसे ग्रहण किया, उसने उन्हें परमेश्वर की संतान होने का अधिकार दिया” (यूहन्ना 1:12) l 

कितना प्रेमपूर्ण दृष्टिकोण है! इसलिए पौलुस ने नए विश्वासियों को याद दिलाया कि एक समय “[तुम] अपने अपराधों और पापों के कारण मरे हुए थे”(इफिसियों 2:1) l लेकिन वास्तव में, “हम उसके बनाए हुए है, और मसीह यीशु में उन भले कामों के लिए सृजे गए जिन्हें परमेश्वर ने पहले से हमारे करने के लिए तैयार किया [है]” (पद.10) l 

इस प्रकार, पतरस ने लिखा, हम “एक चुना हुआ वंश, और राज-पदधारी याजकों का समाज, और पवित्र लोग, और (परमेश्वर की) निज प्रजा [हैं], इसलिए कि जिसने [हमें] अंधकार में से अपनी अद्भुत ज्योति में बुलाया है, उसके गुण प्रगट [करें]”(1 पतरस 2:9-10) l  परमेश्वर की दृष्टि में, हमारे पुराने मार्ग का हम पर कोई दावा नहीं है l आइये स्वयं को परमेश्वर की दृष्टिकोण से देखें—और नए सिरे से चले l