जब मैं एक युवा विश्वासी था, मैंने सोचा था कि “पहाड़ की चोटी” के अनुभव ही वह जगह हैं जहां मैं यीशु से मिलूँगा l लेकिन वे ऊँचाइयाँ शायद ही कभी टिकीं या विकास की ओर ले गयीं l लेखिका लीना अबुजामरा का कहना है कि यह निर्जन/वीरान स्थानों में है जहाँ हम परमेश्वर से मिलते हैं और उन्नति करते हैं l अपने बाइबल अध्ययन थ्रू द डेजर्ट(Through the Desert) में वह लिखती है, “परमेश्वर का उद्देश्य हमें मजबूत बनाने के लिए हमारे जीवन में निर्जन/वीरान स्थानों का उपयोग करना है l” वह आगे कहती है, “परमेश्वर की भलाई आपके दर्द के बीच में प्राप्त करने के लिए होती है, दर्द की अनुपस्थिति से साबित नहीं होती l”

दुःख, हानि और दर्द के कठिन स्थानों में परमेश्वर हमें अपने विश्वास में बढ़ने और उसके करीब आने में मदद करते हैं l जैसा कि लीना ने सीखा, “निर्जन/वीरान स्थान परमेश्वर की योजना में कोई चूक नहीं है, बल्कि[हमारे] विकास प्रक्रिया का एक अभिन्न अंग है l”

परमेश्वर ने कई पुराने नियम के कुलपतियों को निर्जन/वीरान स्थान में पहुँचाया l अब्राहम, इसहाक और याकूब सभी के पास बियाबान/जंगल के अनुभव थे l यह जंगल में ही था कि परमेश्वर ने मूसा के दिल को तैयार किया और उसे अपने लोगों को गुलामी से बाहर निकालने के लिए बुलाया (निर्गमन 3:1-2, 9-10) l और यह निर्जन/वीरान स्थान था कि परमेश्वर ने अपनी मदद और मार्गदर्शन के साथ चालीस वर्षों तक “[इस्राएलियों की] देखभाल करता रहा” (व्यवस्थाविवरण 2:7) l 

परमेश्वर निर्जन/वीरान स्थान में हर कदम पर मूसा और इस्राएलियों के साथ था, और वह हमारे और आपके साथ है l निर्जन/वीरान स्थान में हम परमेश्वर पर भरोसा करना सीखते हैं l वहाँ वह हमसे मिलता है—और वहाँ हम उन्नति करते हैं l