Month: अगस्त 2024

परमेश्वर की थाली में रख दें

वर्षों तक, एक माँ ने प्रार्थना की और अपनी व्यस्क बेटी को स्वास्थ्य सेवा प्रणाली का मार्ग निर्देशन करना और परामर्श और सर्वोत्तम दवाएं खोजने में सहायता की l उसकी अत्यधिक ऊंचाइयां(highs) और गहरा उतार(lows) दिन-ब-दिन उसकी माँ के हृदय पर भारी पड़ता जा रहा था l अक्सर उदासी से थक जाने पर उसे एहसास हुआ कि उसे अपना भी ख्याल रखना होगा l एक मित्र ने सुझाव दिया कि वह अपनी चिंताओं और जिन चीज़ों को वह नियंत्रित नहीं कर सकती, उन्हें कागज़ के छोटे टुकड़ों पर लिखकर उन्हें अपने सिरहाने “परमेश्वर की थाली” पर रखें l इस सरल अभ्यास से सारा तनाव समाप्त नहीं हुआ, लेकिन उस थाली को देखकर उसे याद आया कि ये चिंताएं परमेश्वर की थाली में हैं, उसकी नहीं l 

एक तरह से, दाऊद के कई भजन उसकी परेशानियों को सूचीबद्ध करने और उन्हें परमेश्वर की थाली में रखने का उसका तरीका था (भजन 55:1,16-17) l यदि बेटे अबशालोम द्वारा तख्तापलट के प्रयास का वर्णन किया जा रहा है, तो दाऊद के “घनिष्ठ मित्र” अहितोपेल ने वास्तव में उसे धोखा दिया था और उसे मारने की साजिश में शामिल था (2 शमूएल 15-16) l इसलिए “सांझ को, भोर को, और दोपहर को [दाऊद] दोहाई [देता रहा] और कराहता [रहा],” और [परमेश्वर ने उसकी] प्रार्थना सुन [ली]” (भजन 55:1-2, 16-17) l उसने “अपना बोझ यहोवा पर डाल [देने]” का निर्णय लिया और उसकी देखभाल का अनुभव किया (पद.22) l 

हम प्रामाणिक रूप से स्वीकार कर सकते हैं कि चिंताएं और भय हम सभी को प्रभावित करते हैं l हमारे मन में भी दाऊद जैसे विचार आ सकते हैं : “भला होता कि मेरे कबूतर के से पंख होते तो मैं उड़ जाता और विश्राम पाता” (पद.6) l परमेश्वर निकट है और केवल वही है जो परिस्थितियों को बदलने की सामर्थ्य रखता है l सब उसकी थाली में रख दें l  

चार शब्दों में जीवन

जेम्स इनेल पैकर, जिन्हें जे. आई. पैकर के नाम से जाना जाता है, का 2020 में उनके चौरानवे जन्मदिन से केवल पांच दिन पहले निधन हो गया l एक विद्वान और लेखक, उनकी सबसे प्रसिद्ध पुस्तक, नोइंग गॉड(Knowing God), अपने प्रकाशन के बाद से 1.5 मिलियन(10,00,000) से अधिक प्रतियां बेच चुकी है l पैकर ने बाइबल के अधिकार और शिष्य-निर्माण(disciple-making) का समर्थन किया और हर जगह यीशु मसीह में विश्वास करने वालों से यीशु के लिए जीने को गंभीरता से लेने का आग्रह किया l जीवन के अंतिम क्षणों में उनसे चर्च में कहे गए उनके अंतिम शब्दों के बारे में पूछा गया l पैकर की एक पंक्ति थे, केवल चार शब्द : “मसीह की महिमा करें(Glorify Christ every way) l”

ये शब्द प्रेरित पौलुस के जीवन को दर्शाते हैं, जिन्होंने अपने नाटकीय रूपांतरण के बाद, विश्वासयोग्यता से अपने सामने काम करना आरम्भ किया और परिणामों के लिए परमेश्वर पर भरोसा किया l रोमियों की पुस्तक में पाए गए पौलुस के शब्द पूरे नए नियम में सबसे अधिक धर्मवैज्ञानिक(theologically) रूप से भरे हुए हैं, और पैकर ने प्रेरित द्वारा लिखी गयी बातों का बारीकी से सारांश दिया है : “प्रभु यीशु मसीह के पिता परमेश्वर की स्तुति करो” (15:6) l 

पौलुस का जीवन हमारे लिए एक उदाहरण है l हम कई तरीकों से ईश्वर की महिमा(सम्मान) कर सकते हैं, लेकिन एक है हमारे सामने निर्धारित जीवन जीना और परिणामों को ईश्वर के अपरिवर्तनीय हाथों में छोड़ना l चाहे पुस्तकें लिखना हो या मिशनरी यात्राएं करना हो या प्राथमिक विद्यालय में पढ़ाना हो या बूढ़े माता-पिता की देखभाल करना हो—एक ही लक्ष्य है : मसीह की महिमा करें! जैसे ही हम प्रार्थना करते हैं और पवित्रशास्त्र पढ़ते हैं, परमेश्वर हमें समर्पित आज्ञाकारिता के साथ जीने में मदद करता है और हम जो कुछ भी कहते हैं करते हैं उसमें यीशु का सम्मान करने के लिए हमारे दैनिक जीवन को ट्रैक/पटरी पर रखता है l 

दूसरों पर हमारा प्रभाव

जब मेरे सेमिनरी प्रोफेसर डॉ.ली ने देखा कि हमारे स्कूल के संरक्षक(custodian) बेंजी को हमारे दोपहर के भोजन समारोह में शामिल होने में देर हो जाएगी, तो उन्होंने चुपचाप उनके लिए भोजन की एक प्लेट अलग रख दी l जब मैं और मेरे सहपाठी बात कर रहे थे, डॉ. ली ने चुपचाप चावल के केक का आखिरी टुकड़ा भी उनके लिए एक डिश पर रख दिया—स्वादिष्ट टॉपिंग के रूप में कुछ कसा हुआ नारियल भी डाल दिया l एक प्रख्यात धर्मशास्त्री का यह दयालु कार्य अनेक कार्यों में से एक था—और इसे मैं डॉ. ली की ईश्वर के प्रति निष्ठां का अधिकता मानता हूँ l बीस वार्षों के बाद भी उन्होंने मुझ पर जो गहरी छाप छोड़ी वह आज भी कायम है l 

प्रेरित यूहन्ना का एक प्रिय मित्र था जिसने कई विश्वासियों पर गहरी छाप छोड़ी l उन्होंने गयुस के बारे में बात की जो परमेश्वर और धर्मग्रंथों(Scriptures) के प्रति विश्वासयोग्य था और लगातार “सत्य” पर चलता था (3 यूहन्ना 1:3) l गयुस ने यात्रा करने वाले सुसमाचार के प्रचारकों का अतिथि सत्कार किया, भले ही वे अजनबी थे(पद.5) l परिणामस्वरूप, यूहन्ना ने उससे कहा, “उन्होंने कलीसिया के सामने तेरे प्रेम की गवाही दी है” (पद.6) l गयुस की परमेश्वर और यीशु में अन्य विश्वासियों के प्रति निष्ठा ने सुसमाचार को आगे बढाने में मदद की l 

मेरे शिक्षक का मुझ पर जो प्रभाव पड़ा और गयुस ने अपने समय में जो प्रभाव डाला, वे शक्तिशाली अनुस्मारक/ताकीद हैं जो हम दूसरों पर छोड़ सकते हैं—जिसका उपयोग परमेश्वर उन्हें मसीह की ओर आकर्षित करने में कर सकता है l जैसे हम परमेश्वर के साथ ईमानदारी से चलते हैं, आये इस तरह से जीएं और कार्य करें जिससे अन्य विश्वासियों को भी उसके साथ विश्वासयोग्यता से चलने में मदद मिल सके l  

वन का अँधेरा कमरा(Forest Darkroom)

सेना टोनी वैकेरो को एक फोटोग्राफर के रूप में मौका नहीं देगी, लेकिन ऐसी स्थिति ने उन्हें नहीं रोका l तोप के गोलों और छर्रों से जो मानो पेड़ों से बरस रहें हों से बचने के डरावने क्षणों के बीच, उसने वैसे भी तस्वीरें लीं l फिर, जब उसके मित्र सो गए, तो उसने अपने फिल्म विकसित करने के लिए रसायनों को मिलाने के लिए उनके हेलमेट का उपयोग किया l रात का जंगल अँधेरा कमरा(darkroom/कमरा जहां फोटो बनाए जाते हैं) बन गया जिसमें वैकेरो ने द्वितीय विश्व युद्ध के हर्टगेन वन(Hurtgen Forest) की लड़ाई का एक कालातीत/असामयिक रिकॉर्ड बनाया l 

राजा दाऊद अपने हिस्से की लड़ाइयों और अँधेरे समय से गुजरा l 2 शमूएल 22 कहता है, “यहोवा ने दाऊद को उसके सब शत्रुओं और शाऊल के हाथ से बचाया” (पद.1) l दाऊद ने उन अनुभवों का उपयोग परमेश्वर की विश्वासयोग्यता का रिकॉर्ड तैयार करने के लिए किया l उसने कहा, “मृत्यु के तरंगों ने तो मेरे चारों ओर घेरा डाला, नास्तिकपन/विध्वंश की धाराओं ने मुझे को घबरा दिया”(पद.5) l दाऊद जल्द ही हताशा से आशा की ओर मुड़ गया : “अपने संकट में मैं ने यहोवा को पुकारा और अपने परमेश्वर के सम्मुख चिल्लाया”(पद.7) l दाऊद ने परमेश्वर की अचूक सहायता के लिए उसकी स्तुति करना सुनिश्चित किया l उसने कहा, “यहोवा, तू ही मेरा दीपक है, और यहोवा मेरे अंधियारे को दूर करके उजियाला कर देता है l तेरी सहायता से मैं दल पर धावा करता, अपने परमेश्वर की सहायता से मैं शहरपनाह फांद जाता हूँ” (पद.29-30) l 

दाऊद ने अपनी कठिनाइयों को संसार को अपने विश्वासयोग्य परमेश्वर के बारे में बताने के अवसर में बदल दिया l हम भी ऐसा ही कर सकते हैं l आखिरकार, हम उस पर भरोसा करते हैं जो अन्धकार को प्रकाश में बदल देता है l